बिहार में एक अप्रैल से शराबबंदी लागू होगी या नहीं? इस सवाल को लेकर भ्रम और बढ़ गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले हफ्ते शराबबंदी के संकेत देते हुए कहा था कि उन्होंने अफसरों को नई शराब नीति बनाने के लिए कहा है। उन्होंने यह साफ नहीं किया था कि बैन पूरी तरह लगेगा या आंशिक। एक्साइज मिनिट जलील मस्तान ने बयान दिया कि आंशिक बैन कुछ नहीं होता। इस बीच, 15 दिसंबर को बिहार स्टेट बीवरेजेस कॉरपोरेशन ने एक टेंडर निकाला है। यह टेंडर विदेशी शराब बेचने वाली दुकानें आवंटित करने के लिए है।
विपक्षी भाजपा ने गुरुवार को नीतीश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार ने शराबबंदी पर भ्रम की स्थिति बना कर रखी है। भाजपा विधायक दल के नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आरोप लगाया कि ऐसा इसलिए है क्योंकि महागठबंधन में सत्ता के दो केंद्र हैं।
बिहार में तीसरी बार मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने (20 नवंबर) के एक सप्ताह के भीतर ही नीतीश कुमार ने घोषणा की थी कि नया वित्त वर्ष शुरू होते ही राज्य में शराबबंदी लागू करने के संकेत दिए थे। मद्य निषेध दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा था कि उन्होंने वादा किया था कि अगली बार उनकी सरकार आएगी तो राज्य में शराबबंदी लागू करेगी। सरकार अपने वादे को पूरा करने के लिए कृत संकल्प है। मुख्य सचिव और आबकारी व मद्य निषेध विभाग के प्रधान सचिव को आदेश दिया गया है कि नई नीति बनाने के लिए काम शुरू करें ताकि एक अप्रैल 2016 से नई नीति लागू की जा सके। उन्होंने कहा कि शराब की लत से कम आय वर्ग के लोगों को सबसे ज्यादा नुकसान होता है। उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव तो पड़ता ही है उनके परिवार के विकास पर बच्चों की शिक्षा पर भी इसका बुरा असर होता है। नीतीश कुमार ने कहा था कि शराब से परिवार में अशांति पैदा होती है। परिवार में नशे की लत के कारण सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को झेलनी पड़ती है। हम बिहार में महिलाओं का दर्द समझ सकते हैं।उन्होंने कहा कि सरकार का यह प्रयास होगा कि नशा सेवन के कारण तबाह परिवारों में खुशी लौटे, उन परिवारों की आमदनी की राशि शिक्षा, पोषणयुक्त भोजन पर खर्च हो न कि नशा सेवन पर। नीतीश ने कहा कि आबकारी विभाग से अभी लगभग चार हजार करोड़ की आय होती है, परंतु जनहित में गरीबों और महिलाओं के हित में इन सबके बावजूद सरकार नशा मुक्ति पर नई नीति अप्रैल 2016 में लाएगी ताकि गरीब परिवारों में खुशी लौट सके और उनका विकास तेज हो सके।
10 साल में 11 गुनी कमाई: अगर शराबबंदी पूरी तरह लागू हुई तो बिहार सरकार के खजाने में करीब 4000 करोड़ रुपए कम हो जाएंगे। दस साल पहले शराब की बिक्री से 320 करोड़ रुपए का एक्साइज रेवेन्यू आता था। वित्त वर्ष 2014-15 में यह 3,665 करोड़ हो गया था। बीते दस साल का आंकड़ा ये है-
साल: एक्साइज रेवेन्यू (करोड़ रुपए में)
2014-15: 3,665
2013-14: 3,173
2012-13: 2,431
2011-12: 2,045
2010-11: 1,542
2009-10: 1,099
2008-09: 749
2007-08: 536
2006-07: 384
2005-06: 320