आर्ट ऑफ लिविंग के वर्ल्‍ड कल्‍चर फेस्‍ट‍िवल कार्यक्रम आयोजित करने के लिए लगाए गए 5 करोड़ रुपए के जुर्माने के खिलाफ आध्‍यात्‍म‍िक गुरु श्री श्री रविशंकर के वकील शुक्रवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्‍यूनल (NGT) में दोबारा पहुंचे। यहां उन्‍होंने कहा कि वे एक चैरिटेबल संगठन हैं, इसलिए उनके लिए इतनी जल्‍दी इतनी बड़ी रकम इकट्ठी करना मुमकिन नहीं है। वकीलों ने पैसे जमा कराने के लिए चार हफ्ते का वक्‍त मांगा। आर्ट ऑफ लिविंग के वकीलों ने कोर्ट से यह भी दरख्‍वास्‍त की कि रकम को जुर्माना न कहकर मरम्‍मत में खर्च होने वाली रकम कही जाए। कोर्ट ने आदेश दिया कि आर्ट ऑफ लिविंग 25 लाख रुपए तुरंत जमा कराए और बाकी की रकम तीन हफ्ते में चुकाए।

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बता दें कि इससे पहले, श्री श्री रविशंकर ने एनजीटी के फैसले के खिलाफ कहा था कि वे जेल चले जाएंगे, लेकिन जुर्माना नहीं देंगे। रविशंकर के बयान का मामला भी कोर्ट में उठा। कोर्ट ने जानना चाहा कि क्‍या वाकई उन्‍होंने ऐसा कहा है? इसके बाद, कोर्ट ने कहा, ”श्री श्री के कद वाले किसी शख्‍स से इस तरह के बयान की उम्‍मीद नहीं थी।” एनजीटी ने निर्देशों के बावजूद यमुना की सफाई के‍ लिए कदम न उठाने के लिए जल संसाधन मंत्रालय को भी फटकार लगाई। उधर, कोर्ट के बाहर, कुछ साधुओं ने रविशंकर के समर्थन में प्रदर्शन किया। इस पर कोर्ट ने ओजस्‍वी पार्टी के एक सदस्‍य के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी किया और उसे कोर्ट से बाहर जाने के लिए कहा।

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