राज्यों को नौकरियों और दाखिले में आरक्षण देने के लिए अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों को और वर्गीकृत करने का अधिकार नहीं होने के 2004 के अपने फैसले की समीक्षा की वकालत करते हुए उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा, ‘‘एक समान वर्ग बनाने की आड़ में अमीरों को दूसरों की कीमत पर फलों की पूरी टोकरी नहीं दी जा सकती।’’
इसी मुद्दे पर बहस के दौरान एक टीवी चैनल पर टीवी पैनलिस्ट और एंकर के बीच तीखी बहस हुई। इस दौरान पैनलिस्ट की दलील पर एंकर ने उन्हेें चुप कराते हुए कहा कि ये कौन सी बात हुई। पॉलिटिकल बात मत करिए। पैनलिस्ट सतीश प्रकाश कह रहे थे कि दलितों के लिए आरक्षण बहुत भावनात्मक मुद्दा है। उनके जीने मरने का सवाल है। पैनलिस्ट अपनी बात रख ही रहे थे कि एंकर बीच में बोल पड़े। उन्होंने कहा कि ये कौन सी बात हुई? ये कोई बात नहीं हुई। आप पॉलिटिकल बात मत करिए। ये कौन सी बात हुई कि जीने मरने का मसला है। लॉजिकली बात करिए ना। इसपर पैनलिस्ट ने कहा आप कैसी बात कर रहे हो। देश की आजादी में दलितों ने सहयोग दिया। उन्होंने भारत को एक बनाए रखने में मदद की।
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दलितों के लिए आरक्षण एक भावनात्मक मुद्दा, उनके जीवन-मरण का प्रश्न: सतीश प्रकाश (राजनीतिक विश्लेषक )#quota #Reservation @prateektv pic.twitter.com/XsCuRtwiG0— News18 India (@News18India) August 28, 2020
बता दें कि न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा, ‘‘अगर अनुसूचित जातियों (एससी) की सूची में शामिल सभी जातियों के उद्धार के लाभ केवल कुछ जातियों को हड़पने दिये जाते हैं जिन्हें पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिलता है, जो आगे बढ़ गये हैं और क्रीमी लेयर से ताल्लुक रखते हैं तो यह असमानता पैदा करने के समान होगा जबकि भूख की बात करें तो सभी का पेट भरना और रोटी देना जरूरी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘एक समान श्रेणी बनाने की आड़ में अमीरों को दूसरों की कीमत पर फलों की पूरी टोकरी नहीं दी जा सकती।’’
पीठ ने कहा कि अगर अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) में आरक्षण के फायदे उठाने के बाद सामाजिक स्तर पर ऊपर उठ चुके लोगों को अलग नहीं रखा जाता है और उनमें सबसे गरीबों को बढ़ावा नहीं दिया जाता है, तो संविधान के तहत प्रदत्त समानता का अधिकार निष्फल हो जाएगा। पीठ में न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी, न्यायमूर्ति विनीत सरण, न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस भी शामिल हैं।