निर्भय कुमार पांडेय
ऑनलाइन ठगी के मामले दिनों-दिन बढ़ते ही जा रहे हैं। ठगों ने अपना जाल विदेशों में भी फैलाया हुआ है। यही कारण है कि ठगों के बारे में सुराग जुटाना पुलिस विभाग के साइबर सेल के लिए बड़ी चुनौती हो गई है। अब ठग गिरोह के सदस्य नए-नए तरीकों से लोगों की जमापूंजी चंद मिनटों में चट कर रहे हैं। कहीं खरीदारी करने के नाम पर ठगी तो कहीं ऐप डाउनलोड करवा कर धोखाधड़ी हो रही है। बीती 10 जुलाई को दिल्ली के वसंत कुंज उत्तरी थाना क्षेत्र में एक ऐसा ही मामला सामने आया था, जहां महिला प्रोफेसर विष्णु प्रिया पांडेय से एक नामी शॉपिंग मॉल में आॅनलाइन खरीदारी करने के नाम पर एक लाख रुपए की ठगी कर ली गई। खरीदारी के लिए उनके पास एक लिंक आया था, जिसे भरते ही चंद मिनटों में 49-49 हजार रुपए दो बार और एक बार 10 हजार रुपए उनके खाते से उड़ा लिए गए।
इसी प्रकार से 29 जून को मध्य प्रदेश के सागर में मोबाइल ऐप से आॅनलाइन ठगी की गई। ठगी के शिकार कारोबारी को पहले फर्जी कॉल सेंटर के जरिए ‘एनीडेस्क’ के नाम से एक खास तरह की ऐप डाउनलोड कराई गई। इसके बाद पीड़ित का गूगल पे अकाउंट हैक किया गया। बाद में फोन पर बात करते हुए दो मिनट में 75 हजार रुपए खाते से गायब कर दिए गए। खास बात यह है कि इसके लिए ठगों ने पीड़ित से न तो उसके बैंक खाते की जानकारी मांगी और न ही ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) के बारे में पूछा। दरअसल एनीडेस्क ऐप को डाउनलोड करने के दौरान एक नौ अंकों (डिजिट) का एक कोड दिया जाता है। ऑनलाइन ठगी करने वाले पीड़ित से यह कोड लेते हैं। फिर ऐप पर परमिशन मांगी जाती है। जैसे ही पीड़ित परमिशन देता है। फोन का रिमोट एक्सेस हैकर को मिल जाता है। फिर वह मोबाइल में पहले से मौजूद बैंकिंग ऐप से पैसा गायब कर देता हैं।
नाइजीरिया के निवासी सक्रिय
दिल्ली पुलिस की माने तो ठगी में विदेशियों का बड़ा हाथ है। समय-समय पर ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया जाता है। बड़े शहरों में नाइजीरियाई ठगी के धंधे में काफी सक्रिय हैं। ये विदेशी स्थानीय लोगों के साथ मिलकर उन्हें कम समय में अधिक रुपए कमाने का लालच देते है और उनके साथ मिल कर लोगों के साथ ठगी की जाती है। बीते चार जून को दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे ही नाइजीरियाई आर्थर ओकेके (33) को गिरफ्तार किया था, जिसने विकासपुरी के एक बुजुर्ग से करीब 35 लाख 80 हजार रुपए ठग लिए थे। ठगी मामले में लिप्त नाइजीरियाई की गिरफ्तारी दिल्ली पुलिस करती रहती है। हैरानी की बात यह है कि कई विदेशियों के वीजा और पासपोर्ट की अवधि समाप्त हो चुकी होती है।
पूर्व न्यायधीश हो चुके हैं शिकार
ऑनलाइन ठगी का शिकार सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश आरएम लोढ़ा भी हुए हैं। नौ अप्रैल को ठगों ने उनका ई-मेल आइडी हैक कर उनसे एक लाख रुपए का ठगी कर ली। ठगों ने उन्हें उनके दोस्त बीपी सिंह की मेल आइडी से मेल कर भाई के बीमार होने की जानकारी दी थी और एक लाख रुपए का ट्रांसफर करने को कहा था। पूर्व न्यायाधीश ने दो बार में यह रुपए बताए गए खाते में ट्रांसफर किए थे। यही नहीं, महानायक अमिताभ बच्चन को भी ठगी का शिकार होना पड़ा है। ठगों ने उनके खाते से पांच लाख रुपए की ठगी की थी, जिसके तार झारखंड के जामताड़ा से जुड़े होने का पता चला था।
झारखंड का जामताड़ा ठिकाना
दिल्ली पुलिस की माने तो तो भले ही नाइजीरियाई मूल के निवासी स्थानीय लोगों के साथ मिलकर लोगों की जमापूंजी पर हाथ साफ कर रहे हैं, लेकिन ठगी के अधिकतर मामले झारखंड के जामताड़ा के करमाटांड इलाके से जुड़े होते हैं। 70-80 फीसद ठगी के मामलों में मोबाइल फोन के लॉकेशन या फिर इंटरनेट के आइपी एडेÑस जामताड़ा के आसपास के इलाकों के मिलते हैं। यह इलाका ठगों का गढ़ बन गया है। हालांकि, बीते साल 2018 के 24 मई को ठगों के मास्टर माइंड राम कुमार मंडल को गिरफ्तार किया था, जो इलाके में हेलो मास्टर के नाम से जाना जाता है। यह आरोपी लोगों से फोन पर संपर्क साधता था और बातचीत कर उनका विश्वास जीत लेता था। मात्र 10 सेकेंड में पीड़ित के खाते से एक लाख 85 हजार रुपए उड़ा लिए थे। हालांकि, पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए ई-वॉलेज के सर्विस प्रोवाइडर की मदद से पीड़ित के 40 हजार रुपए मंगा लिए थे, जिन ई-वॉलेट में आरोपी ने रुपए ट्रांसफर किए थे।
साइबर सेल काफी सक्रिय है
दिल्ली पुलिस के अतिरिक्त प्रवक्ता अनिल मित्तल का कहना है कि ठगी करने वाले गिरोह नए-नए तरीके अपनाते रहते हैं। साइबर सेल ठगों की हर गतिविधियों पर नजर रखती है। समय-समय पर ठगों के गिरोह का पर्दाफाश किया जाता है और आरोपियों को पकड़ा जाता है।

