सर्वेश कुमार
तेलहन की पैदावार में 50 फीसद की हिस्सेदारी वाले चने की नई किस्में किसानों के साथ-साथ सेहत के लिए भी अधिक फायदेमंद होगी। शुष्कता की बदौलत फसल के नुकसान को कम करने के बाद भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आइएआरआइ) के वैज्ञानिक अब अधिक प्रोटीन वाले चने की पैदावार के लिए नई किस्म विकसित करने पर शोध कर रहे हैं।
हाल के वर्षों में विकसित चने की दो किस्में पूसा-मानव और पूसा-10216 की खूबियों के बाद देश वासियों को और अधिक सेहतमंद बनाने में वैज्ञानिक जुटे हुए हैं। खास बात यह है कि चने की नई किस्में विकसित की गर्इं हैं। बुंदेलखंड, कच्छ जैसे कम बारिश वाले इलाकों में भी नई प्रजाति का की बेहतर पैदावार ली जा सकती है।
लातूर के किसान कृष्ण पूसा मानव की बेहतर पैदावार ले रहे हैं। पहले चने की दूसरी किस्म के बीज से प्रति हेक्टेयर करीब 38 कुंतल फसल की पैदावार हो रही थी। पहली बार तीन एकड़ में इसकी खेती में काफी अच्छे परिणाम मिले। प्रति हेक्टेयर करीब 45 कुंतल चना की पैदावार हुई। इसमें जिंक और आयरन भी दूसरी किस्म से अधिक है।
आइसीएआर के वैज्ञानिक चना की बेहतर पैदावार के लिए जीन तकनीक का इसलिए इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि इसकी प्राकृत्रिक गुणों को बरकरार रखते हुए कम रकबे और शुष्क इलाकों में अधिक सेहतमंद फसल हो सके। फिलहाल चना में औसतन 22-24 फीसद प्रोटीन की मात्रा होती है। इसे बढ़ाकर 28-30 फीसद का लक्ष्य हासिल करने में वैज्ञानिक शोध में जुटे हैं। वर्ष 2021-22 में देश में कुल दलहन का उत्पादन 2.696 करोड़ टन था, जिसमें 1.375 करोड़ टन चना यानी करीब 50 फीसद की हिस्सेदारी रही है।