नए संसद भवन का आज उद्घाटन होने जा रहा है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आजादी के 75 साल बाद नए लोकतंत्र के मंदिर की सौगात देने जा रहे हैं। ये नया संसद भवन सिर्फ अत्याधुनिक या कहें भव्य नहीं है, बल्कि इसे ऐसे डिजाइन किया गया है, इसे देख मिनी इंडिया की याद आ सकती है। देश के कई राज्यों की संस्कृति इस एक इमारत में शामिल कर ली गई है। राजस्थान से लेकर इंदौर तक, कई राज्यों की मदद से नया संसद तैयार हुआ है।

हर प्रतीक में हर राज्य की झलक

बताया जा रहा है कि नए संसद भवन में जिस खूबसूरत सैंडस्टोन का इस्तेमाल हुआ है, वो राजस्थान मंगवाया गया है। असल में राजस्थान में सरमथुरा का सैंडस्टोन काफी लोकप्रिय है, ऐसे में इसका इस्तेमाल नए संसद भवन में भी हो गया है। इसी तरह जो वीडियो सामने आए हैं, उनमें संसद का कालीन भी आकर्षण का केंद्र बना है। अब बता दें कि ये कालीन उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर से आया है। संसद भवन में जो अशोक चक्र स्थापित किया गया है, वो मध्य प्रदेश के इंदौर से आया है, ऐसे में देश का दिल माने जाने वाले एमपी का भी अपना योगदान रहा है।

यूपी का कालीन, नागपुर की लकड़ी

नए संसद भवन पर कई जगह सफेद संगमरमर का भी इस्तेमाल हुआ है, उस वजह से ही खूबसूरती को चार चांद भी लगे हैं। अब जिस सफेद संगमरमर की चर्चा सब जगह हो रही है, वो भी राजस्थान के अंबाजी से मंगवाया गया है। इसी तरह भवन को बनाने में जिस सौगान की लकड़ी का प्रयोग किया गया, वो नागपुर से खास मंगवाई गई। इसके अलावा भवन बनाने में भारी मात्रा में रेत की भी जरूरत पड़ी। ये रेत हरियाणा के चरखी दादरी से लाई गई। वहीं नए संसद भवन की फ्लोरिंग भी तारीफ योग्य है, जिस फिनिशिंग के साथ उसे तैयार किया गया है, हर कोई देखता रह गया है।

मुंबई का फर्नीचर, राजस्थान का पत्थर

इस खास फ्लोरिंग का श्रेय त्रिपुरा के बांस को जाता है जिसका इस्तेमाल संसद भवन में किया गया है। अब इस नए संसद भवन को बनाने हुए किस तरह से बारीकियों पर ध्यान दिया गया है, इसे ऐसे समझ सकते हैं कि लोकसभा और राज्यसभा की फाल्स सीलिंग में लगाई गई स्टील दमन-दीव से मंगाई गई है। वहीं जो आलीशान फर्नीचर संसद में रखा गया है, वो खास मुंबई से तैयार हुआ है। इसी तरह पत्थर पर जो जाली का बारीक काम देखने को मिला है, उसका श्रेय दोनों नोएडा और राजस्थान को दिया जा रहा है।

इस बार संसद भवन की विशाल दीवार भी चर्चा का विषय बनी हुई है। इसका सारा काम इंदौर में हुआ है, वहीं खास तरह की ईंटें हरियाणा और उत्तर प्रदेश से लाई गई हैं। इसी तरह नए संसद भवन में जो ट्रेंच देखा गया है, उसमें जो पीतल और सीमेंत का काम है, वो अहमदाबाद से आया है। यानी कि एक संसद भवन ने राजस्थान से मध्य प्रदेश तक, महाराष्ट्र से त्रिपुरा तक, हर राज्य को जोड़ने का काम कर दिया है। अब ये नया संसद भवन मिनी इंडिया की झलक तो दिखा ही रहा है, कुछ दूसरे कारणों की वजह से भी इसे खास माना जा रहा है।

पुराने संसद भवन से कितना अलग?

असल में इस नए संसद भवन में एक नहीं कई खास बाते हैं। जगह के लिहाज से तो बड़ा परिवर्तन आने वाला है। जो नया संसद भवन है, वहां पर अब लोकसभा में 888 सदस्यों की क्षमता रहने वाली है, पहले ये सिर्फ 552 थी। इसी तरह राज्यसभा में ये आंकड़ा नए संसद में 384 हो जाएगा जो पहले सिर्फ 250 था। संयुक्त बैठक के दौरान तो एक बार में अब 1272 सदस्य बैठ पाएंगे। आकर्षण का केंद्र इस बार लोकसभा और राज्यसभा का डिजाइन भी है। असल में नई लोकसभा को राष्ट्रीय पक्षी मयूर को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है, वहीं राज्यसभा को कमल फूल से प्रेरित बताया गया है।

आज का पूरा शेड्यूल

28 मई, 2023 को होने वाला समारोह सुबह 7.30 बजे से 8.30 बजे तक हवन और पूजा के साथ शुरू होगा। महात्मा गांधी की मूर्ति के पास एक विशेष रूप से सजाया गया पंडाल मौजूद होगा।  पूजा के दौरान उपस्थित लोगों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सहित कई अन्य मंत्री शामिल होंगे। पूजा के बाद लोकसभा स्पीकर की कुर्सी के पास सेंगोल स्थापित किया जाएगा। सुबह 9.00 बजे शंकराचार्य सहित प्रख्यात विद्वानों, पंडितों और संतों की उपस्थिति में एक प्रार्थना सभा शुरू होगी।

दोपहर 12 बजे राष्ट्रगान के साथ समारोह का दूसरा चरण शुरू होगा। इस महत्वपूर्ण अवसर के महत्व को दर्शाने वाली दो लघु फिल्में दिखाई जाएंगी। इसके बाद राज्यसभा के उपसभापति द्वारा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा दिए गए संदेशों को पढ़ा जाएगा और औपचारिक कार्यवाही को आगे बढ़ाया जाएगा। इसके बाद इस अवसर पर एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी किया जाएगा। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस अवसर पर संबोधित करेंगे। उकार्यक्रम दोपहर 2:00 से 2.30 बजे के बीच समाप्त होगा।