New Parliament Building Inauguration: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई संसद का विधि विधान के साथ उद्घाटन किया है। नया संसद भवन पहले से काफी भव्य है। इसमें हर छोटी से छोटी बात का ध्यान रखा गया है। त्रिभुजाकार आकार वाला नया संसद भवन 64,500 वर्ग मीटर में बना है। चार मंजिला इस इमारत में तीन मुख्य द्वार होंगे। इन्हें ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार नाम दिया गया है। नए संसद में वीआईपी के लिए अलग एंट्री दी गई है। वहीं सासंदों और विजिटर्स के लिए अलग प्रवेश द्वार होंगे। नई संसद अपने आप में काफी अनूठी है। देशभर में अलग-अलग जगहों से इसे भव्य रूप देने के लिए सामान मंगाया गया है।

कहां से मंगाया गया कौन सा सामान?

नई संसद को भव्य रूप देने के लिए नोएडा से पत्थर की जाली मंगाई गई है। इसके अलावा राजस्थान के राजनगर से भी जाली मंगाई गई है। संसद भवन के निर्माण के लिए ‘फ्लाई ऐश’ की ईंटें हरियाणा और उत्तर प्रदेश से मंगवाई गई थीं। नए संसद भवन के लिए कालीन उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर से मंगाए गए। वहीं संसद भवन के निर्माण में उपयोग की गई सागौन की लकड़ी महाराष्ट्र के नागपुर से लाई गई है। संसद भवन के लिए लाल और सफेद बलुआ पत्थर राजस्थान के सरमथुरा से लाया गया है।

राजस्थान से मंगाया गया पत्थर

नई संसद के लिए अजमेर के पास लाखा से लाल ग्रेनाइट और सफेद संगमरमर अंबाजी राजस्थान से मंगवाया गया है। इसके साथ ही हरा पत्थर उदयपुर से लाया गया। पत्थर की नक्काशी का काम आबू रोड और उदयपुर के मूर्तिकारों द्वारा किया गया। इन पत्थरों को राजस्थान के कोटपूतली से लाया गया। नए संसद भवन में निर्माण गतिविधियों के लिए ठोस मिश्रण बनाने के लिएहरियाणा के चरखी दादरी में निर्मित रेत या ‘एम-रेत’ का इस्तेमाल किया गया। बता दें कि ‘एम रेत’ एक प्रकार की कृत्रिम रेत है। इसे बड़े सख्त पत्थरों या ग्रेनाइट को बारीक कणों में तोड़कर बनाया जाता है। नई संसद में त्रिपुरा के बांस से बने फर्श और राजस्थान के पत्थर की नक्काशी भारत की संस्कृतिक विविधता को दर्शाती है। वहीं पीतल के काम के लिए सामग्री और ‘पहले से तैयार सांचे’ गुजरात के अहमदाबाद से लाए गए थे।

मुंबई में तैयार हुआ फर्नीचर

नई संसद में अधिकांश फर्नीचर सागौन की लकड़ी से बना है। इसे मुंबई में तैयार किया गया है। वहीं ‘फाल्स सीलिंग’ के लिए स्टील की संरचना केंद्र शासित प्रदेश दमन और दीव से मंगाई गई है। अशोक चिह्न के लिए सामग्री महाराष्ट्र के औरंगाबाद और राजस्थान के जयपुर से लाई गई थी। इन अशोक चिन्ह को संसद के दोनों सदनों में आसन के ठीक ऊपर लगाया गया है। वहीं संसद भवन के बाहरी हिस्सों में लगी सामग्री को मध्य प्रदेश के इंदौर से मंगाया गया था। तमिलनाडु से संबंध रखने वाले और चांदी से निर्मित एवं सोने की परत वाले ऐतिहासिक राजदंड (सेंगोल) को लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास स्थापित किया गया है।