अमित शाह रविवार को भारतीय जनता पार्टी के दोबारा से राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिए गए। बाहर की चुनौतियों के अलावा आडवाणी और जोशी जैसे वेटरन नेताओं का एक धड़ा उनके दोबारा अध्यक्ष बनने से ज्यादा उत्साहित नहीं नजर आ रहा। लोकसभा चुनाव के अलावा महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा और जम्मू कश्मीर के चुनाव में विजय परचम फहराकर अपना दबदबा कायम करने वाले अमित शाह की स्थिति हाल के वक्त में अपेक्षाकृत कमजोर हुई है। दिल्ली और बिहार चुनाव में बीजेपी को मिली करारी शिकस्त इसकी बड़ी वजह है। शाह के सामने अब अगली चुनौती नए साल में पांच राज्यों (पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुदुचेरी) में होने वाले विधानसभा चुनाव हैं। जहां तक ग्रह नक्षत्र और सितारों का सवाल है, यह साल अमित शाह के लिए बेहद चुनौती भर होगा।
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सद्गुरु आनंद जौहरी बताते हैं कि अमित शाह की कुंडली 2 नवम्बर 2014 की संध्या से शनि की ढैया (छोटी पनौती) के प्रभाव में है। धनेश और पराक्रमेश की इस अढैया ने शाह के करियर पर दिल्ली और बिहार के चुनाव परिणाम के रूप में गहरी चोट पहुंचाई है। यह स्थिति 2016 में और मुखर होगी| 6 दिसंबर 2015 से अमित शाह की लग्नेश और सुखेश वृहस्पति की महादशा आरम्भ हो चुकी है। पर देव गुरु इनकी कुंडली के छठे भाव में बैठे हैं, जहां विवेक को नुकसान पहुंचा कर उनके सुख में भारी कमी कर रहे हैं। वहीं, उनकी लोकप्रियता को भी गहरा आघात पहुंचा रहे हैं। आने वाला वक्त उनकी मामूली कमियों को बढ़ा चढ़ा उनकी साख को गहरी क्षति पहुंचा सकता है। इस वजह से दल के अन्दर और बाहर उनके विरोधियों की संख्या में भारी वृद्धि का योग निर्मित हो रहा है।
नरेद्र मोदी के लिए भी साल ठीक नहीं
जौहरी के मुताबिक, नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ग्रह योग फिलहाल उनके खिलाफ विरोध, आंदोलन और आलोचना को जन्म देकर मानहानि का प्रयास कर सकते हैं। किसी सहयोगी की गलत योजना या गलती के लिए इन्हें उत्तरदायी बनाने का प्रयास होगा। किसी व्यक्ति या व्यक्तियों द्वारा चुनौतियाँ खड़ी की जाएंगी। हालांकि, ऐसी उम्मीद है कि स्वग्रही मंगल और भाग्येश चंद्रमा की जोड़ी इन विपरीत परिस्थितियों का मुकाबला कर लेगी | 22 फरवरी 2016 तक का कार्यकाल चुनौतियों के बाद भी इन्हें सुख की अनुभूति प्रदान करेगा। हालांकि, मोदी के लिए 2016 इतना आसान नहीं नजर आ रहा| 22 फरवरी 2016 से 20 मार्च 2016 का समय प्रधानमंत्री और उनके सलाहकारों को अस्थायी रूप से ही सही, कई बार बेचैन करेगा। किसी खास मित्र या पूर्व मित्र के किए गए काम से उन्हें परेशानी हो सकती है।
20 मार्च 2016 से 7 मई 2016 तक का समय भावनात्मक उतार चढ़ाव का होगा। 7 मई 2016 से 10 जून 2016 तक के बीच कोई बड़ा झमेला सामने आ सकता है। हालांकि, मोदी इन सबका सामना बड़ी आसानी से कर लेंगे। 10 जून से 6 सितंबर तक का समय कूटनीतिक लड़ाई का होगा। 6 सितंबर से २२ नवंबर तक का वक्त के बीच मोदी को किसी सलाहकार, मित्र, सहयोगी या नये सहयोगी से लाभ मिल सकता है। कुल मिलाकर नए साल में मोदी के लिए पड़ोसियों के अलावा ढेरों मित्रों और विरोधियों से टकराव टालना बड़ी चुनौती होगी। विरोधी अचानक से बेहद आक्रामक हो जाएंगे। देश व विश्व में खून खराबे की स्थिति उन्हे विचलित करेगी। मोदी को स्वास्थ्य को लेकर भी सजग रहना पड़ेगा। इन सबके बावजूद मोदी की एक विचारक, सुधारक और नव दृष्टा के रूप में छवि उभर कर सामने आएगी।