बजट सत्र का दूसरा चरण सोमवार को शुरू हुआ। इस दौरान सत्तारूढ़ बीजेपी और डीएमके के बीच चल रहे वाकयुद्ध के कारण सोमवार को लोकसभा में व्यवधान उत्पन्न हो गया। जिसके बाद तमिलनाडु के सांसदों के विरोध के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को अपने भाषण से एक शब्द वापस लेना पड़ा।
प्रश्नकाल में बहस के दौरान प्रधान ने तमिलनाडु की डीएमके सरकार पर बेईमान होने और राज्य के छात्रों के भविष्य के साथ राजनीति करने का आरोप लगाया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के प्रति डीएमके सरकार के विरोध की आलोचना करते हुए उन्होंने पीएम-श्री स्कूलों को लेकर यू-टर्न लेने का भी आरोप लगाया, जिससे डीएमके सांसद खड़े हो गए।
मुख्यमंत्री स्टालिन ने धर्मेंद्र प्रधान पर अहंकारी होने का आरोप लगाया
संसद में हुई इस बहस के तुरंत बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाली जिसमें धर्मेंद्र प्रधान पर अहंकारी होने का आरोप लगाया गया। स्टालिन ने लिखा, “केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान अहंकार से ऐसे बात करते हैं जैसे कि वे राजा हों, उन्हें अपने शब्दों पर ध्यान देने की ज़रूरत है। आप तमिलनाडु के उचित फंड को रोक रहे हैं और हमें धोखा दे रहे हैं, फिर भी आप तमिलनाडु के सांसदों को असभ्य कहते हैं? क्या माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे मंज़ूरी देते हैं?”
‘तमिलनाडु सरकार ने पीएम-श्री योजना को लागू करने पर सहमति नहीं जताई’
स्टालिन ने लिखा कि तमिलनाडु सरकार ने कभी भी पीएम-श्री (स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया) योजना को लागू करने पर सहमति नहीं जताई, जबकि प्रधान ने ऐसा कहा था। 2024 में प्रधान द्वारा लिखे गए पत्र का हवाला देते हुए उन्होंने कहा: “क्या यह आप ही नहीं थे जिन्होंने मुझे यह पुष्टि करते हुए लिखा था कि तमिलनाडु सरकार ने एनईपी, तीन-भाषा नीति और पीएम श्री एमओयू को पूरी तरह से खारिज कर दिया है?”
जैसे-जैसे यह मुद्दा बढ़ता जा रहा है, भाजपा में कई लोगों को डर है कि यह वही हो सकता है जो अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले डीएमके चाहती है, भले ही भाजपा को इससे झटका लगे। तमिलनाडु भाजपा के एजेंडे में सबसे ऊपर है, पिछले साल के लोकसभा चुनावों में कुछ सफलता मिली थी। एनईपी को तमिलनाडु पर हिंदी थोपने का प्रयास बताकर स्टालिन ने राज्य में एक भावनात्मक मुद्दा उठाया है।
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डीएमके सांसद का दावा- एनईपी के विरोध के कारण तमिलनाडु के करोड़ों रुपये अन्य राज्यों को भेज दिए गए
संसद में यह गतिरोध तब शुरू हुआ जब डीएमके सांसद टी सुमति ने एक पूरक प्रश्न पूछते हुए दावा किया कि एनईपी के विरोध के कारण तमिलनाडु के लिए निर्धारित लगभग 2,000 करोड़ रुपये अन्य राज्यों को भेज दिए गए।
अपने जवाब में प्रधान ने दावा किया कि तमिलनाडु सरकार पीएम-श्री पर सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार थी। उन्होंने कहा, “तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री के साथ मेरे कुछ सांसद सहयोगियों ने सहमति जताई, उन्होंने यू-टर्न ले लिया। कई गैर-बीजेपी राज्यों, खासकर कांग्रेस के कर्नाटक ने एनईपी को स्वीकार कर लिया है, हालांकि उन्होंने मौखिक रूप से कुछ आरक्षण किए हैं और पीएम-श्री को लागू कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि स्टालिन भी पहले इस पर सहमत थे।
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि मार्च में अभी 20 दिन बाकी हैं, जिससे संकेत मिलता है कि तमिलनाडु सरकार के पास पीएम-श्री पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के लिए समय है।
डीएमके सांसद ने धर्मेंद्र प्रधान पर लगाया झूठ बोलने का आरोप
जब डीएमके सांसद प्रधान पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए सदन के आसन के पास आ गए तो विपक्षी सदस्य भी अपनी सीटों से उठकर उनके विरोध में शामिल हो गए, जिसके कारण सदन की कार्यवाही आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी गई।
पीटीआई के मुताबिक, जब सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो डीएमके सांसद कनिमोझी ने कहा कि मंत्री द्वारा इस्तेमाल किए गए एक विशेष शब्द से वह बहुत दुखी और आहत हैं।
रिकॉर्ड से हटाया गया शब्द
उनके जवाब में प्रधान ने कहा, “मेरी सम्मानित सहकर्मी, मेरी सबसे प्रिय बहनों में से एक और वरिष्ठ सदस्य, माननीय कनिमोझी ने दो मुद्दे उठाए हैं। उनके अनुसार, मैंने एक ऐसा शब्द इस्तेमाल किया है जिसका इस्तेमाल मुझे तमिलनाडु के सदस्यों, तमिलनाडु सरकार और तमिलनाडु के लोगों के लिए नहीं करना चाहिए था, चलिए मैं इसे वापस लेता हूँ। अगर इससे किसी को ठेस पहुँची है तो मैं अपना शब्द वापस लेता हूँ। मुझे इससे कोई परेशानी नहीं है।” इसके बाद अध्यक्ष ने कहा कि यह शब्द रिकार्ड से हटा दिया जाएगा। पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स