कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय ( PMML) को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निजी दस्तावेजों का खजाना प्राप्त करने के प्रयास में अपने सहयोग का आश्वासन दिया है। सूत्रों ने बताया कि यह पहली बार है जब गांधी ने पीएमएमएल के किसी पत्र का जवाब दिया है। सूत्रों के अनुसार,सोनिया गांधी ने कहा है कि उनके कर्मचारी इस मामले की जांच करेंगे।
इंडियन एक्सप्रेस को मिली जानकारी के मुताबिक़, सोनिया गांधी ने यह जवाब उन आरोपों पर दिए हैं कि जवाहरलाल नेहरू के निजी दस्तावेजों का एक बड़ा हिस्सा उन्होंने 2008 में संगठन से वापस ले लिया था। तब इसे नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (एनएमएमएल) के नाम से जाना जाता था। पीएमएमएल के अधिकारियों ने इस साल दो बार कांग्रेस नेता को पत्र लिखकर इन दस्तावेजों के साथ-साथ नेहरू से संबंधित किसी भी अन्य पत्राचार तक पहुंच की मांग की थी जो विद्वानों और इतिहासकारों के लाभ के लिए उनके पास हो सकता है।
जनवरी 2025 में सोनिया गांधी को पहला पत्र भेजा गया
पीएमएमएल के रिकॉर्ड के अनुसार, इन दस्तावेजों में नेहरू और जयप्रकाश नारायण, एडविना माउंटबेटन, अल्बर्ट आइंस्टीन, अरुणा आसफ अली, विजया लक्ष्मी पंडित और जगजीवन राम के बीच आदान-प्रदान किए गए पत्र शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार, इस साल जनवरी में भेजा गया पहला पत्र जो 2024 में पीएमएमएल सोसाइटी की वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद भेजा गया था, उनका कोई जवाब नहीं मिला।
यह पत्र रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई एजीएम में सदस्यों द्वारा कागजात की वापसी के संबंध में कानूनी राय लेने के निर्णय के बाद भेजा गया था। यह पहली बार था जब संग्रहालय ने आधिकारिक संचार में यह दर्ज किया कि नेहरू संग्रह के कुछ कागजात सोनिया गांधी जी द्वारा ले लिए गए थे।
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दस्तावेज पहली बार 1971 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा संगठन को दान किए गए थे
सूत्रों के अनुसार, सदस्यों के बीच यह राय थी कि इन दस्तावेजों को वापस मंगा लिया जाना चाहिए और इस बात पर सहमति बनी कि स्वामित्व, अभिरक्षण, कॉपीराइट और इन संग्रहों के उपयोग जैसे मुद्दों पर कानूनी राय ली जाए। ये दस्तावेज पहली बार 1971 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा संगठन को दान किए गए थे।
सूत्रों के अनुसार, दूसरा पत्र इस वर्ष 23 जून को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित पीएमएमएल सोसाइटी की वार्षिक आम बैठक में हुई चर्चा के दौरान सहमति बनने के बाद भेजा गया था। इसमें यह तय किया गया था कि इस मामले को आगे बढ़ाया जाना चाहिए और कानूनी राय ली जानी चाहिए।
‘प्रथम प्रधानमंत्री से संबंधित दस्तावेज राष्ट्रीय धरोहर हैं’
सूत्रों के अनुसार, वार्षिक आम बैठक के दौरान सर्वसम्मति बनी कि प्रथम प्रधानमंत्री से संबंधित दस्तावेज राष्ट्रीय धरोहर हैं और उनकी विरासत को संरक्षित करने के लिए संग्रहालय को वापस सौंप दिए जाने चाहिए क्योंकि यही उनका उचित स्थान है। सूत्रों ने बताया कि कई सदस्यों ने तर्क दिया कि एक बार दान या उपहार में दिए गए दस्तावेजों को वापस नहीं लिया जा सकता और वे संगठन की संपत्ति बने रहते हैं।
एजीएम में यह भी बताया गया कि मामला 2008 का है। सोनिया गांधी के नेतृत्व में जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल फंड, एक गैर-लाभकारी संस्था है जिसका संचालन नई दिल्ली के उसी तीन मूर्ति परिसर से होता है जहाँ पीएमएमएल स्थित है। इसने हाल ही में एक डिजिटल नेहरू संग्रह शुरू किया है। इसमें जवाहरलाल नेहरू के चयनित कार्यों के 100 खंडों का एक संग्रह है, जिसमें कुल 35,000 से अधिक दस्तावेज़ शामिल हैं जिन्हें निःशुल्क डाउनलोड किया जा सकता है।
