अकोला जिले के एक गांव में रहने वाले किसान संजय टिकड़े ने जमीन बेचकर बांध का निर्माण करवाया है। किसान की तरफ से सरकार से कई बार सहायता मांगी गई, लेकिन मदद नहीं मिली। जिसके बाद संजय ने ख्‍ुाद ही बांध बनवाने का मन बनाया।

संजय ने मीडिया को बताया, “मेरे पास 20 से 25 एकड़ जमीन है। मेरे खेत के बीच से एक नहर गुजरती है। चूंकि पानी रोकने के लिए नहर पर कोई बांध नहीं बना था, इसलिए हर मॉनसून में मेरे खेत का बड़ा हिस्‍सा पानी में डूब जाता था। मैं मिट्टी का बांध बनाकर पानी रोकने की कोशिश करता था, लेकिन बारिश होते ही मिट्टी का बांध बह जाता था। दो साल तक मिट्टी के बांध बनाने के बाद मैंने एक कंक्रीट का बांध बनाने का फैसला किया। यह बहुत महंगा था, इसलिए मैंने प्रशासन से मदद मांगी।”

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42 साल के संजय ने बताया कि जब उसने बांध बनाना शुरू किया तो सरकारी अधिकारियों ने आपत्ति जताई। प्रशासन ने संजय के खिलाफ मिट्टी का इस्‍तेमाल करने को गैरकानूनी बताते हुए शिकायत भी की।

संजय बताते हैं, “प्रशासन ने मुझे कानून के नाम पर परेशान करने की बहत कोशिश की। उनक वजह से बांध का निर्माण चार-पांच दिन के लिए थम गया था जिससे मुझे दो लाख रुपए का नुकसान हुआ। मैंने उन्‍हें अपनी समस्‍या के बारे में बताया था। मैंने सरकार से बांध बनाने में लगातार मदद मांगी लेकिन उन्‍होंने कोई भी मदद देने से मना कर दिया। इसलिए, मैंने खुद ही बांध बनाने का फैसला किया।”

टिकड़े ने 55 लाख रुपए में 10 एकड़ जमीन बेची। वह 20 लाख रुपए से तीन करोड़ लीटर की क्षमता वाला बांध बना रहे हैं। किसान ने अधिकारियों के प्रति अपना गुस्‍सा भी जाहिर किया जिन्‍होंने शुरुआत में टांग अड़ाने की कोशिश की, मगर अब उसके इस कदम की तारीफ कर रहे हैं। संजय ने कहा, ये वही लोग हैं जिन्‍होंने तब मेरी मदद नहीं की जब मैं मदद की भीख मांग रहा था। अब वह कह रहे हैं कि बचे हुए काम में मेरा सहयोग करेंगे।”