नीट यूजी पेपर लीक मामले में गुरुवार को अहम सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सर्वोच्च अदालत ने NTA का पक्ष समझा, छात्रों के विरोध का आधार जाना और सरकार की बात सुनी। अदालत ने एक साथ 40 से ज्यादा याचिकाओं पर सुनवाई की, इस वजह से कई घंटों तक सवाल-जवाब चलते रहे, कई पहलुओं पर बहस हुई और विरोध कर रहे छात्रों के सामने कुछ चुनौतियां भी खड़ी हो गईं। कहने को सुप्रीम कोर्ट ने अभी अपना फैसला नहीं सुनाया है, दोबारा परीक्षा कराने को लेकर कोई आदेश नहीं आया है, लेकिन अदालत के कुछ सवाल ही इस समय बता रहे हैं कि यह राह छात्रों के लिए बहुत आसान नहीं रहने वाली, उनकी परीक्षा रद्द करने की डिमांड भी पूरी होती नहीं दिख रही।

सुप्रीम कोर्ट के तीन सवाल

असल में सुप्रीम कोर्ट कुछ ऐसे तीखे सवाल सुनवाई के दौरान उठाए हैं जो ना सिर्फ वाजिब दिखाई पड़ते हैं बल्कि इस केस की दिशा-निर्देश भी तय कर सकते हैं। पहले जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के तीन सबसे बड़े सवाल क्या रहे जिन्हें छात्रों के लिए चुनौती के रूप में देखा जा रहा है-

सवाल नंबर 1- क्या पूरी परीक्षा की पवित्रता प्रभावित हुई या नहीं?

सवाल नंबर 2- बड़े लेवल पर लीक के लिए संपर्क जरूरी, पैसा कमाने वाला लेगा इतना रिस्क?

सवाल नंबर 3- क्या सिर्फ 45 मिनट में 180 सवालों के जवाब मिल गए?

पहले सवाल के मायने जानिए

अब सुप्रीम कोर्ट का पहला सवाल समझने की कोशिश करते हैं। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कई मौकों पर इस बात का जिक्र किया कि पेपर राष्ट्रीय स्तर पर लीक हुआ है या फिर सिर्फ छोटे-छोटे पॉकिट्स में। कोर्ट का मानना था इस परीक्षा के बड़े स्तर पर सामाजिक प्रभाव हैं, ऐसे में ठोस आधार मिलना जरूरी है कि जो गड़बड़ियां मिली भी हैं, उससे पूरी परीक्षा प्रभावित हुई है या नहीं।

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हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के तो मुताबिक कोर्ट ने पेपर रद्द करने की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं से कहा है कि वे साबित करें कि NEET-UG परीक्षा में पेपर लीक सुनियोजित थी। अदालत की यह टिप्पणियां बताती हैं कि कोर्ट यह जरूर मान रहा है कि पेपर लीक हुआ है, लेकिन अभी यह नहीं कहा जा सकता कि पूरे देश में ऐसा ही देखने को मिला।

दूसरे सवाल के मायने जानिए

वैसे सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पेपर लीक करने वालों पर भी एक अहम टिप्पणी की। सीजेआई का साफ मानना रहा कि पैसा कमाने के लिए पेपर लीक किया गया है, राष्ट्रीय स्तर पर नाटक करने के लिए नहीं। कोर्ट ने यहां तक कहा कि अगर पूरे देश में पेपर लीक करवाना होता तो उसके लिए ज्यादा संपर्क की जरूरत पड़ती, कई शहरों तक अपना दायरा बढ़ाना पड़ता, जिसे पैसा कमाना है, वो क्यों इस तरह से प्रसार करेगा। यानी कि यहां पर अदालत का रुख बताता है कि वो अभी के लिए इस बात से संतुष्ट नहीं है कि पूरे देश में एक समान तरीके से पेपर लीक हुआ होगा।

तीसरे सवाल के मायने जानिए

सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी NTA के उन दावों पर भी आई जिसमें बताया गया था कि नीट का पेपर जो लीक हुआ, उसमें सारा खेल 45 मिनट के अंदर में हुआ। असल में सुनवाई के दौरान NTA के वकील ने बताया कि कुल 7 पेपर सॉल्वर थे और हर सॉल्वर को 25-25 प्रश्न दिए गए थे, ऐसे में सुबह 9.30 से 10.15 बजे के बीच पेपर के सभी सवालों के जवाब निकाले गए। लेकिन इस बात से सुप्रीम कोर्ट सहमत नजर नहीं आया। दो टूक कहा गया कि ऐसा कैसे हो सकता है कि 45 मिनट के अंदर में पूरा पेपर हल कर छात्रों को जवाब दे दिए गए। यह सब दूर की कौड़ी लगता है।

छात्रों को करना पड़ेगा साबित

अब सुप्रीम कोर्ट में हुई यह सुनवाई साफ बताती है कि पेपर लीक तो हुआ है, लेकिन यह कह देना कि पूरे परीक्षा तंत्र के साथ समझौता हो गया, पूरे देश में ही लीक देखने को मिला, तो ऐसा नहीं है। कोर्ट ने एनटीए से भी सवाल दागे हैं, लेकिन छात्रों के सामने ज्यादा बड़ी चुनौती आ गई है। अगर उन्हें परीक्षा रद्द करवानी है तो साबित करना पड़ेगा कि पूरे देश में पेपर लीक हुआ था। यह राह आसान नहीं रहने वाली और कोर्ट में भी लड़ाई लंबी रहेगी। अगली सुनवाई 22 जुलाई को होने जा रही है।