विपक्षी दलों के INDIA गठबंधन में दरार आ गई है। यह दरार एनसीपी (शरद पवार) के संसद की एक संयुक्त समिति का हिस्सा बनने के फैसले के बाद आई है। यह समिति उन तीन विधेयकों पर चर्चा करेगी जिनमें यह प्रस्ताव है कि अगर प्रधानमंत्री या कोई मंत्री गंभीर आरोपों में लगातार 30 दिन तक जेल में रहे तो उनकी सदस्यता खुद-ब-खुद खत्म हो जाएगी।
एनसीपी (शरद पवार) ने समिति में शामिल होने का यह फैसला ऐसे वक्त में लिया है, जब बिहार में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं और INDIA गठबंधन के दलों के बीच मतभेद होने से गठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़े हो सकते हैं।
एनसीपी (शरद पवार) की सांसद सुप्रिया सुले का कहना है कि उन्होंने पार्टी प्रमुख शरद पवार से बातचीत के बाद ही समिति का हिस्सा बनने का फैसला किया। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस ने इस मामले में उनकी पार्टी से या शरद पवार से किसी तरह का कोई संपर्क नहीं किया है।
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सबसे पहले टीएमसी ने किया था ऐलान
INDIA गठबंधन के अन्य दलों की बात करें तो टीएमसी ने सबसे पहले यह ऐलान किया था कि वह इस समिति का हिस्सा नहीं बनेगी। शिवसेना (यूबीटी), समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी ने भी ऐसा ही फैसला लिया था लेकिन कांग्रेस ने अभी तक इस मामले में कोई स्पष्ट रुख नहीं अपनाया है।
एनसीपी (शरद पवार) का तर्क है कि पार्टी प्रमुख शरद पवार का हमेशा से यही रुख रहा है कि INDIA गठबंधन में शामिल होने के बावजूद उन्हें किसी भी मुद्दे पर अपनी अलग राय रखने से नहीं रोका जा सकता। इसके अलावा संसद की संयुक्त समिति में शामिल न होने का फैसला कोई अच्छा फैसला नहीं है।
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पहले भी जाहिर की अलग राय
इससे पहले भी एनसीपी (शरद पवार) ने पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने के मामले में INDIA गठबंधन से अलग रुख अपनाया था।
अडानी समूह के मामले में कांग्रेस ने संसद की संयुक्त जांच समिति (जेपीसी) की मांग की थी लेकिन शरद पवार ने इसका विरोध किया था और कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच किया जाना बेहतर विकल्प होगा। उन्होंने यह भी कहा था कि अडानी पर लगे आरोपों को बेवजह बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया।
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के द्वारा वीडी सावरकर पर दिए गए बयान को लेकर भी शरद पवार ने सार्वजनिक रूप से असहमति जताई थी।
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