आलोक देशपांडे

शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा (NCP) से अजित पवार के नाता तोड़ने और आठ अन्य विधायकों के साथ सत्तारूढ़ भाजपा-शिंदे सेना सरकार में शामिल होने के लगभग एक महीने बाद, अब विधायक दल के नेता और राज्य इकाई के प्रमुख जयंत पाटिल के एनसीपी प्रमुख के भतीजे के साथ शामिल होने की अटकलें तेज हो गई हैं। सूत्रों ने कहा कि पाटिल ने अजित पवार और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ संभावित कदम के बारे में बैठकें की हैं, हालांकि पाटिल ने कहा कि फिलहाल वे ऐसा कोई कदम नहीं उठा रहे है।

पहले कर चुके हैं अजित पवार को अयोग्य ठहराने की मांग

जब से अजित पवार ने विद्रोह का नेतृत्व किया और उनके समूह ने पार्टी के नाम के साथ-साथ चुनाव चिन्ह पर भी दावा किया, तब से विधायक दल पर पूर्ण नियंत्रण हासिल करने के लिए विधायक दल के नेता का पद महत्वपूर्ण हो गया है। हालांकि पाटिल पहले स्पीकर राहुल नार्वेकर को पत्र लिखकर अजित पवार और आठ अन्य को अयोग्य ठहराने की मांग कर चुके हैं।

वफादारी के प्रदर्शन से बचने के लिए मानसून सत्र से अनुपस्थित रहे अधिकतर एमएलए

अयोग्य ठहराए जाने का खतरा सिर पर मंडराने और अजित के समूह की वास्तविक विधायी ताकत पर कोई स्पष्टता नहीं होने के कारण, एनसीपी के अधिकतर विधायकों ने एनसीपी के किसी भी गुट के प्रति वफादारी के प्रदर्शन से बचने के लिए पूरे मानसून सत्र में सदन में उपस्थित नहीं होने का फैसला किया। सत्तारूढ़ राज्य सरकार में पाटिल का शामिल होना न केवल यह पुष्टि करने के लिए महत्वपूर्ण है कि अधिकतर एनसीपी विधायक अजित पवार का समर्थन करते हैं, बल्कि पार्टी पर दावा करने के लिए भी महत्वपूर्ण है।

घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों के अनुसार, पाटिल को अजित पवार और फडणवीस के साथ बैठक के लिए बुलाया गया था, जहां उन्हें अगले कैबिनेट विस्तार में वर्तमान सरकार में मंत्री पद की पेशकश की गई थी। विधान सभा के भीतर हल्के-फुल्के मजाक में अजित पवार ने पाटिल पर ताना भी मारा कि वह और फडणवीस उनके ध्यान का इंतजार कर रहे हैं। अजित पवार को समर्थन देने का वादा करने वाले वरिष्ठ नेता सुनील तटकरे के साथ और बाद में सार्वजनिक तौर पर खुद पवार के साथ पाटिल की दोस्ताना बातचीत ने ध्यान खींचा है और अटकलों को हवा दी है।

हालांकि, पाटिल ने कहा है कि शरद पवार का साथ छोड़ने का कोई सवाल ही नहीं है। पाटिल ने सत्र के दौरान कहा था, “हम एक-दूसरे को वर्षों से जानते हैं और दोस्ताना बातचीत होना स्वाभाविक है, जो भविष्य में भी जारी रह सकता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं कहीं जा रहा हूं।”

हालांकि, एनसीपी की राज्य इकाई के प्रमुख ने सरकार में शामिल होने को लेकर उनके और सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्यों के बीच कथित बैठकों पर कोई टिप्पणी नहीं की है। दिलचस्प बात यह है कि अजित पवार ने राज्य इकाई प्रमुख के रूप में पाटिल के पांच साल से अधिक के कार्यकाल को अपने चाचा से अलग होने के बहाने के रूप में इस्तेमाल किया था। दोनों नेताओं को पार्टी के भीतर प्रतिस्पर्धी के तौर पर देखा जाता रहा है। बगावत के बाद से ही पाटिल शरद पवार के साथ बने हुए हैं।