दिल्ली में सरकारी कार्यालयों में काम करने का समय सुबह 9 बजे से शाम 5.30 बजे तक है, जिसमें दोपहर 1 बजे से 30 मिनट का लंच ब्रेक होता है। लेकिन सर्दियों में सरकारी कार्यालयों के गलियारे और केबिंस खाली रहते हैं क्योंकि स्टाफ के लोग घंटों बाहर धूप सेंकते हैं, जो निर्धारित लंच घंटों से बहुत अधिक है।
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT), जिसका दक्षिणी दिल्ली में एक विशाल, हरा-भरा परिसर है, इसका अपवाद नहीं है। घंटों ऑफिस से बाहर रहने की वजह से एनसीईआरटी प्रशासन को बुधवार को एक परिपत्र जारी करने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसमें अधिकारियों को याद दिलाया गया कि उनका यह आचरण केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम 1964 के खिलाफ है।
सरकारी कार्यालयों में स्टाफ के देर से आने और आने के बाद अपने चैंबर, केबिन और सीट पर नहीं मिलने की आम शिकायतें रही हैं। कई बार इसको लेकर हंगामा भी हो चुका है, लेकिन अफसरों और कर्मचारियों पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। इससे आम जनता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
सरकारी कार्यालयों से उलट निजी कार्यालयों में सख्ती ज्यादा रहती है। इसी वजह से अक्सर कर्मचारी निजीकरण का विरोध करते हैं। हाल के दिनों में केंद्र सरकार के कई सरकारी संस्थाओं के निजीकरण के खिलाफ राजनीतिक दलों ने भी विरोध जताया है। कुछ दिन पहले ही सरकारी एयरलाइंस एयर इंडिया का निजीकरण कर टाटा समूह को दिया गया है।
टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कहा था कि पूरे देश की नजर टाटा समूह और एयर इंडिया पर है। लोग यह देखना चाह रहे हैं कि हम दोनों मिलकर क्या हासिल करने वाले हैं। समूह के सरकारी एयरलाइन का स्वामित्व सरकार से हासिल करने के बाद उन्होंने एयर इंडिया के कर्मचारियों को लिखे पत्र में यह बात कही थी। उन्होंने यह भी कहा कि टाटा समूह एयर इंडिया को विश्वस्तरीय एयरलाइन बनाने को प्रतिबद्ध है।
चंद्रशेखरन ने भरोसा जताया कि एयर इंडिया का स्वर्णिम युग आने वाला है। केंद्र सरकार ने आधिकारिक रूप से एयर इंडिया को करीब 69 साल बाद टाटा समूह को फिर सौंप दिया है। एयर इंडिया के कर्मचारियों को भेजे संदेश में चंद्रशेखर ने कहा, ‘‘मैंने यह सीखा है कि जो अतीत का सबसे अच्छा है, उसे संरक्षित रखा जाए और इसके लिये निरंतर बदलाव की आवश्यकता होती है। एक गौरवशाली इतिहास का सबसे अच्छा सम्मान भविष्य के अनुसार उसे तैयार करना और उसे अपनाना है।’’