दवा निर्माण में प्रयुक्त हो रहे ‘हेरोइन और मिथेमफेटामाइन’ जैसे कुछ निश्चित रासायनिक फॉर्म्युलेशनों के अवैध इस्तेमाल को रोकने के उद्देश्य से ‘स्वापक नियंत्रण ब्यूरो’ (एनसीबी) ने ऐसे कृत्यों पर लगाम कसने की खातिर दवा उद्योग को संवेदनशील बनाने की योजना बनाई है। जश्न के दौरान सेवन किए जाने वाले नशीले पदार्थों के तौर पर प्रचलित इन रसायनों का दवा माफियाओं द्वारा नशीली दवाओं के निर्माण में गलत इस्तेमाल किए जाने को लेकर चिंतित एनसीबी अधिकारियों ने लोगों द्वारा दवा के तौर पर ली जाने वाली चिकित्सक की पर्ची के बगैर मिलने वाली दवाओं की बिक्री को लेकर भी चिंता जताई।
अधिकारियों को हालिया दो घटनाआें में हेरोइन और मिथेमफेटामाइन जैसे रसायिक तत्वों के दवा निर्माण में अवैध इस्तेमाल का पता चला और इसी की पृष्ठभूमि में इस गंभीर मुद्दे पर उद्योग को संवेदनशील बनाने की प्रस्तावित कवायद हुई। अहमदाबाद एनसीबी के क्षेत्रीय निदेशक हरि ओम गांधी के मुताबिक, दवा और रसायनिक कंपनियां इस तरह के फॉर्म्युलेशनों के अवैध इस्तेमाल पर रोक लगाने में अहम भूमिका निभा सकती हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी चिंता दुकानों पर चिकित्सक की पर्ची के बगैर मिलने वाली कफ सिरप जैसी दवाओं की बिक्री को लेकर भी है, क्योंकि अमेरिका की तरह भारत में भी लोग नशीले पदार्थ के तौर पर इन दवाओं का सेवन करते हैं। इसलिए इस तरह की दवाओं की बिक्री के नियमन की आवश्यकता है क्योंकि फिलहाल इस तरह का कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है कि ऐसी दवाइयों को कौन और किस मकसद से खरीदता है।’’