छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में नक्सलियों ने तीन स्थानों पर पुलिस दल पर घात लगाकर हमला किया। इन हमलों में सात पुलिस जवान शहीद हो गए और दस घायल हो गए। घायलों को बेहतर इलाज के लिए हेलिकॉप्टर से रायुपर और जगदलपुर ले लाया गया है।
नक्सली अपने साथ हमले में शहीद और घायल हुए जवानों के हथियार भी ले गए। मुख्यमंत्री रमन सिंह ने नक्सली हमले की निंदा करते हुए जवानों की शहादत पर गहरा दुख जताया है। उन्होंने घायलों का बेहतर इलाज के निर्देश दिए हैं। घटना की खबर आने के बाद मुख्यमंत्री ने राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ घटना की समीक्षा। उन्होंने अधिकारियों को हमले में शामिल लोगों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने के निर्देश दिए हैं।
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने मुख्यमंत्री से फोन पर सुकमा जिले की हालात की जानकारी ली। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राज्य में नक्सली हमलों पर चिंता जताते हुए घटना में मारे गए जवानों के परिजनों के प्रति संवेदना जताई है।
सुकमा हमले में घायल जवान रंजीत कुमार सिंह ने संवाददाताओं को बताया कि पोलमपल्ली आधार शिविर से एसटीएफ का दल शनिवार तड़के गस्त के लिए रवाना हुआ था। दल में लगभग 50 जवान थे। दल को इस दौरान पिड़मेल गांव के करीब नक्सली गतिविधि की सूचना मिली थी।
सूचना के बाद पुलिस दल पिड़मेल गांव के करीब से वापस लौट रहा था। वापसी के दौरान नक्सलियों ने पुलिस दल पर घात लगाकर हमला कर दिया। उन्होंने बताया कि इस हमले में प्लाटून कमांडर शंकर राव को गोली लगी और वह शहीद हो गए। बाद में पुलिस दल ने भी जवाबी कार्रवाई शुरू की। इस दौरान जब पुलिस दल ने देखा कि नक्सलियों की संख्या अधिक है, तब वहां से सुरक्षित निकलना ठीक समझा।
घायल जवान ने बताया कि इस दौरान नक्सलियों ने तीन जगहों से पुलिस दल पर गोलीबारी शुरू कर दी। इस घटना में पुलिस के सात जवान शहीद हो गए और 10 अन्य घायल हो गए। नक्सलियों की गोलीबारी के बीच पुलिस दल के जवानों ने अपने घायल साथियों को घटनास्थल से निकालने की कोशिश की और वहां से जवान कांकेरलंका शिविर पहुंचे। वहीं अतिरिक्त पुलिस दल ने भी उन्हें कांकेरलंका पहुंचाने में मदद की।
राज्य में नक्सल मामलों के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक आरके विज ने बताया कि पुलिस दल को गश्त के लिए रवाना किया था। पिड़मेल गांव के करीब नक्सलियों ने पुलिस दल पर घात लगाकर हमला कर दिया। इस हमले में प्लाटून कमांडर शंकर राव, प्रधान आरक्षक रोहित सोरी, प्रधान आरक्षक मनोज बघेल, प्रधान आरक्षक मोहन उइके, आरक्षक राजकुमार मरकाम, आरक्षक किरण देशमुख और आरक्षक राजमन नेताम शहीद हो गए। जबकि 10 अन्य पुलिसकर्मी घायल हुए हैं।
घायलों को एएलएच-धु्रव हेलिकॉप्टर से जगदलपुर और रायपुर ले जाया गया है। विज ने बताया कि सात घायल जवानों को बेहतर ईलाज के लिए रायपुर भेजा गया है। तीन अन्य जवानों का इलाज जगदलपुर के अस्तपाल में किया जा रहा है। मृतकों के शवों को रविवार को ले जाया जाएगा। खराब मौसम के कारण बचाव कार्य प्रभावित हो रहा है।
मुख्यमंत्री रमन सिंह ने इस नक्सली हमले की निंदा करते हुए जवानों की शहादत पर गहरा दुख जताया है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सिंह ने कहा है कि यह नक्सलियों की कायरतापूर्ण और शर्मनाक हरकत है। उन्होंने कहा कि जवानों ने बड़ी बहादुरी से नक्सलियों का मुकाबला किया। मुख्यमंत्री ने हमले में घायल जवानों के जल्द स्वास्थ होने की कामना की है।
उन्होंने अधिकारियों को घायलों का बेहतर से बेहतर इलाज करवाने के निर्देश दिए हैं। अधिकारियों ने बताया कि रमन सिंह ने नक्सल वारदात की जानकारी मिलते ही शाम को तत्काल अपने निवास कार्यालय में वरिष्ठ अधिकारियों की आपात बैठक में घटना की समीक्षा की।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को इस वारदात के लिए जिम्मेदार नक्सलियों का तत्परता से पता लगाने और उन्हें जल्द से जल्द गिरफ्तार करने के निर्देश दिए हैं। पुलिस महानिदेशक ने मुख्यमंत्री को बताया कि घटना में शामिल अपराधियों की तलाश युद्घ स्तर पर की जा रही है।
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने मुख्यमंत्री रमन सिंह से फोन पर बातकर सुकमा जिले की स्थिति की जानकारी ली। राजनाथ ने कहा,‘सीआरपीएफ की अतिरिक्त टीम को मौके पर रवाना कर दिया गया है। मैं अपने उन सुरक्षाकर्मियों की बहादुरी को सलाम करता हूं जो नक्सलियों से लड़ते हुए अपना जीवन बलिदान करते हैं। मैं घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं।’
वहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नक्सली हमले में सात पुलिसकर्मियों के मारे जाने की घटना को देखते हुए शनिवार को छत्तीसगढ़ में जारी नक्सली हमलों पर चिंता जताई। कांग्रेस अध्यक्ष ने हमले में मारे गए पुलिसकर्मियों के परिवारवालों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करते हुए उम्मीद जताई कि प्रशासन पीड़ित परिवारों को पर्याप्त मुआवजा और घायलों की चिकित्सा सुनिश्चित करेगा।
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नक्सली अप्रैल-मई के बीच जब जंगल में सूखा और पतझड़ का समय होता है तब पुलिस दल पर हमले तेज कर देते हैं। यह नक्सलियों की रणनिति का हिस्सा है जिसे टैक्टिल काउंटर अफेंसिव कैंपेन (टीसीओसी) कहा जाता है। साल 2010 में सुकमा जिले के ताड़मेटला की घटना भी इसी दौरान छह अप्रैल का हुई थी। इस घटना में सीआरपीएफ के 75 जवान समेत 76 जवानों की मौत हुई थी।