कांग्रेस की पंजाब इकाई के प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू ने बुधवार को लोकसभा सदस्य अमर सिंह और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी मोहम्मद मुस्तफा सहित चार सलाहकार नियुक्त किए थे। लेकिन पूर्व डीजीपी मोहम्मद मुस्तफा ने अपना नाम वापस ले लिया है।

जिन लोगों को सलाहकार नियुक्त किया गया था उनमें प्रमुख नाम पूर्व डीजीपी मोहम्मद मुस्तफा का ही माना जा रहा था। मीडिया से बात करते हुए मुस्तफा ने कहा कि मैंने नवजोत सिंह सिद्धू को स्नेह पूर्वक यह कहते हुए मना कर दिया कि वो राजनीतिक पदों के लिए नहीं बने हैं। उन्होंने कहा कि सिद्धू ने मेरे बारे में सोचा, मैं इससे ही संतुष्ट हूं। उन्होंने कहा कि अगली सरकार में जब नवजोत सिंह सिद्धू  मुख्यमंत्री बनेंगे तो वो उन्हें अपनी सेवाएं देंगे।

मुस्तफा 2017 के चुनाव से पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह के करीबी अफसरों में माने जाते थे। उन्हें पूरा यकीन था कि कैप्टन सरकार में वह डीजीपी बनेंगे। लेकिन सरकार बनते ही कैप्टन ने सुरेश अरोड़ा को ही इस पद पर बने रहने दिया। अरोड़ा के रिटायर होने के बाद दिनकर गुप्ता को डीजीपी बना दिया जो मोहम्मद मुस्तफा से काफी जूनियर हुआ करते थे। जिसके बाद मुस्तफा ने फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती भी दी थी।

पूर्व आईपीएस अधिकारी मोहम्मद मुस्तफा कैबिनेट मंत्री रजिया सुल्ताना के पति हैं। प्रदेश कांग्रेस प्रमुख के रूप में नामित होने के बाद, सिद्धू कई नेताओं के पास पहुंचे थे जिनमें सुल्ताना भी एक थी।

पिछले महीने प्रदेश कांग्रेस का प्रमुख बनने के बाद सिद्धू ने पहली बार कोई नियुक्ति की है। पूर्व किक्रेटर और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने एक चिट्ठी में बुधवार को कहा था , “मैं पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में तत्काल प्रभाव से चार सलाहकारों को नियुक्त करता हूं। मैं व्यक्तिगत रूप से प्रत्येक पंजाबी के बेहतर भविष्य के लिए इनमें से प्रत्येक को उनके दृष्टिकोण के लिए बहुत सम्मान देता हूं।”  बताते चलें कि सिद्धू ने अपने सलाहकारों के तौर पर स्वास्थ्य कार्यकर्ता और स्वास्थ्य विज्ञान बाबा फरीद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलसचिव प्यारे लाल ग्राग और राजनीतिक विश्लेषक मलविंदर सिंह माल को भी नियुक्त किया है।