नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कर पंचाट अधिनियम को गुरुवार को असंवैधानिक घोषित कर दिया। इस कानून के तहत कर मामलों पर फैसला करने के लिए एक पंचाट बनाया गया था और इस मामले में उच्च अदालतों का अधिकार ले लिया गया था।
मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता वाले पांच जजों के संविधान पीठ ने कहा कि 2005 में पास यह अधिनियम असंवैधानिक है क्योंकि इसके तहत गठित राष्ट्रीय कर पंचाट (एनटीटी) उच्चतर न्यायपालिका के क्षेत्राधिकार का अतिक्रमण करता है। अदालत ने कहा कि सिर्फ ऊंची अदालतें ही महत्त्वपूर्ण कानूनों से जुड़े मुद्दों पर विचार कर सकती है न कि कोई पंचाट।
एनटीटी की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं अदालत के समक्ष थीं, जिन पर सुनवाई के बाद अदालत ने यह फैसला किया। याचिकाओं में दलील दी गई है कि इस अधिनियम से इस बात का गंभीर खतरा है कि इस तरह न्यायपालिका की जगह विभिन्न मंत्रालयों के विभागों की तरह काम करने वाले तमाम अर्धन्यायिक पंचाट खड़े कर दिए जाएंगे।
इस मामले में पहली याचिका 2006 में दायर की गई थी। इसमें मद्रास बार एसोसिएशन ने एनटीटी के गठन को चुनौती दी थी। बाद में वकीलों की कई और एसोसिएशनों ने इस अधिनियम को चुनौती दी। उस समय राजग सरकार ने यह कहते हुए एनटीटी के गठन के प्रस्ताव को उचित बताया था कि उच्च न्यायालयों में लंबित मामलों के अंबार के निबटान के लिए इस तरह के पंचाट का विचार ठीक है।
