देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने हिमालय में रहने वाले उस ‘रहस्यमयी योगी’ का नाम बता दिया है, जिसके इशारों पर पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्ण नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) को चलाया करती थीं। शुक्रवार को सीबीआई ने दिल्ली के एक कोर्ट को बताया कि एनएसई के पूर्व ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर (समूह संचालन अधिकारी) आनंद सुब्रमण्यम “हिमालयी योगी” थे, जिन पर एनएसई के पूर्व एमडी और सीईओ चित्रा के फैसलों को प्रभावित करने का आरोप है।

11 फरवरी को रामकृष्ण पर सेबी ने सुब्रमण्यम की नियुक्ति में नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में तीन करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था। सेबी के अनुसार, सुब्रमण्यम की नियुक्ति सहित 2013 से 2016 तक एनएसई के एमडी और सीईओ के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान रामकृष्ण द्वारा लिए गए कई महत्वपूर्ण निर्णय, एक अज्ञात योगी द्वारा निर्देशित किए गए थे “जो बड़े पैमाने पर हिमालय पर्वतमाला में निवास कर सकते हैं”।

“Ernst and Young” की एक ऑडिट रिपोर्ट ने संकेत दिया था कि योगी खुद सुब्रमण्यम हो सकते हैं। रामकृष्ण पर आरोप है कि उन्होंने “हिमालयी योगी” के साथ शेयर की गोपनीय जानकारी साझा की। इससे पहले, सुब्रमण्यम और रामकृष्ण दोनों को 2018 में शेयर बाजार में कथित हेरफेर के मामले में गिरफ्तार किया गया था।

सुब्रमण्यम की जमानत याचिका पर शुक्रवार को स्पेशल जज संजीव अग्रवाल के सामने सुनवाई हुई। जब सीबीआई ने तर्क दिया कि सुब्रमण्यम भाग सकता है, तो न्यायाधीश ने टिप्पणी की कि वह पिछले चार वर्षों में भाग नहीं गया था। सीबीआई ने तब अदालत को बताया कि सुब्रमण्यम ने सोचा था कि “वह चार साल तक योगी हो सकता है, कोई भी पहचान नहीं पाएगा। वह ईमेल आईडी चला रहा था।”

सुब्रमण्यम के वकील अर्शदीप ने कोर्ट को बताया कि घोटाला 2010-2014 में हुआ था, जबकि उन्हें 2013 में नियुक्त किया गया था। उन्होंने कहा कि सेबी की ओर से की गई दो आंतरिक जांच में सुब्रमण्यम के खिलाफ कुछ भी नहीं मिला है।

उनके मुताबिक, “आवेदक को सेबी की तरफ से पूरी तरह से बरी कर दिया गया है और यह पुष्टि की गई है कि कथित कार्यों में उसकी कोई भूमिका नहीं है।” जज ने कहा, “आप हिमालय के योगी हैं, जो दैवीय शक्तियों के साथ हिमालय के ऊंचे इलाकों में रहते हैं। सीबीआई चार साल से विश्राम या निद्रा मुद्रा (Hibernation) में थी। वे अब अचानक उठ गए। मुझे नहीं पता क्यों।” सुब्रमण्यम के लिए जवाब देते हुए, उनके वकील ने कहा: “मैं योगी नहीं हूं”।