जम्मू-कश्मीर में होने वाले राज्यसभा चुनाव के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस ने शुक्रवार को तीन सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया। पार्टी ने इस बात का संकेत दिया है कि वह एक सीट कांग्रेस के लिए छोड़ सकती है। जम्मू-कश्मीर में राज्यसभा की चार सीटों के लिए 24 अक्टूबर को चुनाव होगा। बीजेपी ने सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के महासचिव अली मोहम्मद सागर ने बताया कि पार्टी ने चौधरी मोहम्मद रमजान, शम्मी ओबेरॉय और सज्जाद किचलू को उम्मीदवार बनाया है और एक सीट के लिए कांग्रेस के साथ बातचीत जारी है।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के सलाहकार नसीर असलम वानी ने बताया कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला इस बार संसद नहीं जाएंगे।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के द्वारा घोषित किए गए उम्मीदवारों में चौधरी रमजान कुपवाड़ा से आते हैं और पार्टी के सीनियर नेता हैं। चौधरी रमजान पिछले साल विधानसभा चुनाव में पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के सज्जाद लोन से हार गए थे जबकि सज्जाद किचलू किश्तवाड़ से नेशनल कॉन्फ्रेंस के पूर्व विधायक हैं।
BJP के ऐलान से दिलचस्प हुआ जम्मू-कश्मीर में राज्यसभा का चुनाव
सज्जाद किचलू विधानसभा चुनाव में भाजपा की एकमात्र महिला विधायक शगुन परिहार से हार गए थे। शम्मी ओबेरॉय लंबे समय से नेशनल कॉन्फ्रेंस के कोषाध्यक्ष हैं और उन्होंने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के साथ काम किया है।
किसके पास हैं कितने विधायक?
जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में नेशनल कॉन्फ्रेंस के पास 41 विधायक हैं। बीजेपी के 28, कांग्रेस के 6, पीडीपी के 3, CPM के 1, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और आम आदमी पार्टी के 1-1 और 7 निर्दलीय विधायक हैं। विधानसभा में दो सीटें खाली हैं। एक सीट उमर अब्दुल्ला के बडगाम सीट को खाली करने और दूसरी बीजेपी विधायक देवेंद्र सिंह राणा के निधन के कारण।
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दो सीटों के लिए होगा मुकाबला
राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के अलावा नेशनल कॉन्फ्रेंस को सीपीआई (एम) विधायक एमवाई तारिगामी और पांच निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है और यह आंकड़ा 53 बैठता है। इतने विधायकों के साथ नेशनल कॉन्फ्रेंस राज्यसभा की दो सीटें आसानी से जीत सकती है लेकिन बची हुई दो सीटों के लिए उसके और बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला हो सकता है।
इसमें पीडीपी (3), आप (1), पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (1) और दो निर्दलीयों के वोट बेहद अहम साबित होंगे। आप के एकमात्र विधायक मेहराज मलिक इन दिनों जेल में हैं और उन्हें वोट डालने के लिए अदालत की अनुमति लेनी होगी। पीडीपी के विधायक किसका समर्थन करेंगे, इस पर लोगों की नजरें टिकी हैं।
राज्यसभा के इस चुनाव में एक पेच यह है कि मनोनीत विधायकों के मामले में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा क्या करेंगे? कांग्रेस का कहना है कि चुनाव आयोग ने जब चुनाव कार्यक्रम का ऐलान कर दिया है तो उपराज्यपाल के द्वारा विधानसभा के नए सदस्यों को मनोनीत करना ठीक नहीं होगा। इतिहासकार और राजनीतिक विश्लेषक हरिओम भी ऐसा ही मानते हैं।
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