प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय राजमार्ग 24 के चौड़ीकरण का उद्घाटन और दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे की आधारशिला रखने के लिए गुरुवार को नोएडा पहुंचे। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महेश शर्मा भी प्रधानमंत्री के साथ थे। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कार्यक्रम में शरीक नहीं हुए। मोदी ने सेक्टर 62 में दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे का शिलान्यास किया। उन्होंने एक सभा को भी संबोधित किया।
बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार नोएडा आए। लेकिन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव नहीं पहुंचे। सरकार ने पंचायती राज मंत्री कैलाश यादव को कार्यक्रम में मुख्यमंत्री का प्रतिनिधि के रूप में भेजा।
अखिलेश के नहीं आने की वजह यह भ्रम माना जा रहा है कि जो भी सीएम नोएडा आता है, वह जल्द ही कुर्सी गंवा देता है। 1988 में नोएडा दौरे के कुछ ही दिन बाद वीर बहादुर सिंह अपना मुख्यमंत्री पद गंवा बैठे थे। अगले साल यानी 1989 में नारायण दत्त तिवारी के साथ ऐसा हुआ। 1995 में मुलायम सिंह, 1997 में मायावती, 1999 में कल्याण सिंह के साथ भी ऐसा ही हुआ। 2012 में मायावती के साथ एक बार फिर ऐसा ही हुआ। अक्टूबर 2011 में वह दलित प्रेरणा स्थल के उद्घाटन के लिए नोएडा गई थीं। 2012 में उनकी पार्टी विधानसभा चुनाव हार कर सत्ता से बाहर हो गई। इसके बाद से राजनीतिक हलकों में यह मान लिया गया कि जो भी मुख्यमंत्री नोएडा जाता है, वह पद पर ज्यादा समय तक नहीं रहता। अगस्त 2012 में जब यमुना एक्सप्रेस वे का उद्घाटन हुआ, तब भी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव नोएडा नहीं आए थे। 2013 में उन्होंने गौतम बुद्ध नगर में कई परियोजनाओं का उद्घाटन किय, लेकिन शहर में आए बिना।