झारखंड में खंडित जनादेश का तिलिस्म तोड़ते हुए भाजपा-आजसू गठबंधन ने 81 सदस्यीय विधानसभा में स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया है। राज्य की कुल 81 सीटों में से घोषित 80 नतीजों में भाजपा ने 37 सीटें जीतीं, जबकि आजसू पांच स्थानों पर विजयी रहा। जेएमएम को 19 सीटों पर जीत हासिल हुई, जबकि जेवीएमपी ने आठ सीटें जीतीं। कांग्रेस को सिर्फ पांच सीटें ही हासिल हो पाईं। विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित उनके मंत्रिमंडल के 12 में से नौ मंत्री चुनाव हार गए। हार के बाद हेमंत सोरेन ने शाम को राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने उन्हें वैकल्पिक व्यवस्था होने तक अपने पद पर बने रहने को कहा है।

भाजपा-आजसू गठबंधन को 42 सीटें मिली हैं। भाजपा अकेले 37 सीटें जीतने में कामयाब रही। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 18 सीटें जीती थीं और जेएमएम को भी 18 सीटें मिली थीं। इस बार भाजपा ने अपनी सीटों की संख्या में दुगने से ज्यादा का इजाफा किया। मुख्य निर्वाचन अधिकारी पीके जाजोरिया के अनुसार राज्य मंत्रिमंडल के 12 सदस्यों में से मुख्यमंत्री सहित नौ मंत्री चुनाव हार गए हैं। मुख्यमंत्री खुद अपनी दुमका सीट से भाजपा की लुईस मरांडी के हाथों चुनाव हार गए। उनके वरिष्ठतम मंत्री कांग्रेस विधायक दल के नेता राजेंद्र सिंह बेरमो भाजपा के योगेश्वर महतो से चुनाव हार गए।


इसी तरह कोडरमा से राजद नेता और जल संसाधन मंत्री अन्नपूर्णा सिंह यादव को भाजपा की नीरा यादव ने पटखनी दी, जबकि देवघर से पर्यटन मंत्री सुरेश पासवान को भाजपा के नारायण दास ने हराया। सिसई से मानव संसाधन मंत्री गीताश्री उरांव तीसरे स्थान पर रहीं। यह सीट भाजपा के दिनेश उरांव ने जीती। धनबाद से हेमंत के एक और मंत्री और कांग्रेस नेता मन्नान मलिक भाजपा के राज सिन्हा के हाथों हार गए। जमशेदपुर पश्चिम से कांग्रेस नेता और राज्य के मंत्री बन्ना गुप्ता भाजपा के सरयू राय के हाथों हारे तो मधुपुर से झामुमो के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हाजी हुसैन अंसारी भाजपा के राज पालीवार से चुनाव हार गए।

बोरियो से झामुमो नेता और हेमंत के मंत्री लोबिन हेंब्रम भी भाजपा के ताला मरांडी के हाथों बुरी तरह हार कर गए।

हेमंत के अलावा अब तक सिर्फ उनके एक मंत्री मांडू से जयप्रकाश भाई पटेल अपनी सीट बचा सके हैं।

पनकी विधानसभा क्षेत्र का परिणाम अभी घोषित नहंी किया गया है। यहां से कांग्रेस उम्मीदवार बिदेश सिंह अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी निर्दलीय उम्मीदवार कुशवाहा शशि भूषण मेहता से करीब एक हजार वोट से आगे हैं।

कांग्रेस के गठबंधन सहयोगी राजद और जद (एकी) के हाथ कुछ नहीं लगा। पिछले चुनाव में राजद को पांच और जद (एकी) को दो सीटें मिली थीं।
विजय की ओर बढ़ते भाजपा के काफिले को उस समय झटका लगा, जब उसके दिग्गज नेता और तीन बार के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा खरसावां से अपनी विजय पताका नहीं फहरा पाए।

हालांकि पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने जमशेदपुर ईस्ट सीट जीती।

आजसू के प्रमुख और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुदेश महतो अपने गृह क्षेत्र सिल्ली से चुनाव हार गए, जहां से वह पिछले 15 वर्ष से विधायक थे।

पूर्व मुख्यमंत्री और जय भारत सामंत पार्टी के प्रमुख मधु कोड़ा, जिन्हें हाल ही में सीबीआई ने कोयला ब्लाक आवंटन घोटाले में आरोपित किया है, मझगांव से चुनाव हार गए, लेकिन उनकी पत्नी गीता कोड़ा जगंथपुर से विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहीं।

झारखंड के विधानसभाध्यक्ष शशांक शेखर भोक्ता ने सारठ विधानसभा सीट से हार के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया जिसे राज्यपाल ने स्वीकार कर लिया है। विधानसभा के प्रवक्ता ने बताया कि विधानसभाध्यक्ष ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया जिसे तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया गया है। भोक्ता ने चुनाव हारने के बाद कहा कि राजनीति में हार जीत लगी रहती है और इससे उनके मनोबल पर कोई फर्क नहीं पड़ा है और वे जनता की सेवा करते रहेंगे।

वहीं जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव में राज्य के मतदाताओं ने खंडित जनादेश दिया है। यहां पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) सबसे बड़ी पार्टी के रूप उभरी है। भाजपा को दूसरा स्थान मिला है। उमर अब्दुल्ला सरकार के उप मुख्यमंत्री और कई मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा है। दो सीटों से चुनाव लड़ने वाले उमर सोनवार में हार गए हैं। नजीते आने के बाद राज्य में सरकार गठन की कवायद तेज हो गई है। कांग्रेस ने पीडीपी को बिना शर्त समर्थन की पेशकश की है। लेकिन पीडीपी ने कहा है कि वह जोड़-तोड़ कर सरकार बनाने के पक्ष में नहीं है। वहीं भाजपा ने कहा है कि उसके सभी विकल्प खुले हुए हैं।

पीडीपी को 87 सदस्यीय विधानसभा में 28 सीटें मिली हैं, जो पिछली बार के मुकाबले 12 अधिक हैं। भाजपा ने 25 सीटें जीती हैं। पिछली बार उसे 11 सीटें मिली थीं। पिछले चुनाव में 28 सीटें जीतने वाली उमर अब्दुल्ला की नेशनल कांफ्रेंस को 15 सीटों से ही संतोष करना पड़ा है। उमर अब्दुल्ला सरकार की साझीदार कांग्रेस को 12 सीटें मिली हैं। पिछले चुनाव में उसे 17 सीटें मिली थीं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से ‘मिशन 44 प्लस’ का पुरजोर प्रचार करने के बाद भी भाजपा को कश्मीर घाटी और लद्दाख में एक भी सीट नहीं मिली है। निवर्तमान मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला बीरवाह निर्वाचन क्षेत्र में जीत गए हैं। लेकिन सोनवार सीट पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा। चुनाव जीतने वाले प्रमुख उम्मीदवारों में पीडीपी के संरक्षक मुफ्ती मोहम्मद सईद का नाम शामिल है। उन्होंने अनंतनाग सीट पर जीत दर्ज की। जम्मू कश्मीर (जेके) बैंक के पूर्व अध्यक्ष हसीब द्राबू पुलवामा में जीते हैं। पूर्व अलगाववादी सज्जाद गनी लोन ने हंदवाड़ा में नेशनल कांफ्रेंस के मंत्री चौधरी मोहम्मद रमजान को पराजित किया।

उप मुख्यमंत्री और कांग्रेस के ताराचंद को छम्ब सीट पर भाजपा के कृष्ण लाल के हाथों हार का सामना करना पड़ा। उमर ने बीरवाह सीट पर कांग्रेस के नजीर अहमद को हराया। लेकिन सोनवार में वो पीडीपी उम्मीदवार मोहम्मद अशरफ मीर से हार गए। जीत के बाद मीर ने कहा कि यह दिलचस्प मुकाबला था। उन्होंने चुनाव को अच्छी तरह संभाला। मीर ने कहा,‘मैं अपनी जीत को लेकर बहुत उत्साहित हूं। खुदा का शुक्रगुजार हूं। मुझे पहले से ही अपनी जीत को लेकर बहुत यकीन था। इसके बारे में अनुमान भी लगाया था। मैंने चार साल पहले कह दिया था कि मैं सोनवार जीतूंगा और आज लोगों ने उसे हकीकत कर दिया।’

उमर के मंत्रिपरिषद के कई सदस्य भी चुनाव हार गए। इनमें स्वास्थ्य मंत्री ताज मोहिउद्दीन, पर्यटन मंत्री गुलाम अहमद मीर (सभी कांग्रेस), वित्तमंत्री अब्दुल रहीम राथर और सामाजिक कल्याण मंत्री सकीना ईतू (दोनो नेकां) और कृषिमंत्री गुलाम हसन मीर (डीपीएन) के नाम शामिल हैं।

माकपा नेता एमवाई तारिगामी कुलगाम सीट से लगातार चौथी बार चुनाव जीते हैं। खानसाहिब सीट से तीसरी बार चुनाव जीतने वाले पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट के नेता हकीम मोहम्मद यासीन की भी सरकार गठन में अहम भूमिका हो सकती है।

कांग्रेस ने सरकार गठन के लिए पीडीपी को बिना शर्त समर्थन की पेशकश की है। लेकिन मुफ्ती मोहम्मद सईद की पार्टी किसी जल्दबाजी के मूड में नजर नहीं आ रही है। पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा,‘हम कुछ भी करके सरकार बनाने के पक्ष में नहीं हैं। जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने और सुशासन के लिए सरकार बनाने की संभावनाएं तलाशने में समय लगेगा। यह कहना कठिन होगा कि यह कब तय होगा।’

अगर, पीडीपी और कांग्रेस हाथ मिला लेते हैं तो भी बहुमत का आंकड़ा नहीं पूरा नहीं हो पाएगा।

वहीं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि पार्टी के लिए सभी तीन विकल्प खुले हुए हैं। उन्होंने कहा,‘सरकार बनाने का विकल्प, एक सरकार को समर्थन देने का विकल्प और सरकार में भागीदारी का विकल्प, तीनों विकल्प खुले हुए हैं।’