दस केंद्रीय मजूदर संघों द्वारा आज दिन भर के लिए आहूत राष्ट्रव्यापी हड़ताल के साथ एकजुटता जताते हुए कांग्रेस ने आंदोलन के लिए सरकार की ‘पूर्ण उदासीनता’ को जिम्मेदार ठहराया।

पार्टी प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि जैसे ब्रिटिश इस देश के लाखों मजदूरों की कीमत पर ईस्ट इंडिया कंपनी को फायदा पहुंचाना चाहते थे, उसी तरह मोदी सरकार इस सरकार के 5-6 सांठगांठ वाले उद्योगपति मित्रों को फायदा पहुंचाना चाहती है।’’

सिंघवी ने सरकार पर आंदोलनकारी मजदूर संघों के साथ संपर्क करने में नाकाम रहने का आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी सरकार का ‘हठ’ इस गतिरोध और आज के राष्ट्रव्यापी हड़ताल के लिये जिम्मेदार है।

उन्होंने कहा, ‘‘मजदूरों का नुकसान करते हुए सांठगांठ वाले कुछ पंजीपतियों को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए श्रम कानूनों में बदलाव के लिए घोर उदासीनता इस सरकार के रवैये को दर्शाता है।’’ सिंघवी ने साथ ही कहा, ‘‘ ‘सबका साथ, सबका विकास’ महज एक नारा है।’’

देश के प्रमुख मजदूर संघों ने अपनी 12 सूत्री मांगों पर जोर देने के लिए आज दिन भर की हड़ताल बुलायी है। मजदूर संघों की 12 सूत्री मांगों में महंगाई पर काबू पाने के लिए तत्काल उपाय, बेरोजगारी पर अंकुश, प्राथमिक श्रम कानूनों को सख्ती से लागू करना, सभी कामगारों के लिए सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा कवर और प्रतिमाह 15,000 रुपए का न्यूनतम वेतन शामिल हैं।

साथ ही वे कामगारों की पेंशन बढ़ाने, सार्वजनिक उपक्रमों में विनिवेश बंद करने, ठेका प्रथा बंद करने, बोनस व भविष्य निधि पर सीमा समाप्त करने, 45 दिनों के भीतर ट्रेड यूनियनों का अनिवार्य पंजीकरण, श्रम कानूनों में मनमाने ढंग से बदलाव नहीं करने और रेलवे, रक्षा आदि क्षेत्र में एफडीआई रोकने की भी मांग कर रहे हैं।