‘ललितगेट’ मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी को लेकर कांग्रेस ने गुरुवार को कहा कि नरेंद्र मोदी को अपने ‘ध्यान’ से बाहर आना चाहिए और देश को जवाब देना चाहिए। जबकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने इस मुद्दे पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि अगर ये दोनों लोग खुद से अपना पद नहीं छोड़ते हैं तो इनको बर्खास्त किया जाना चाहिए।

कांग्रेस प्रवक्ता टाम वड़क्कन ने यहां संवाददाताओं से कहा कि यह अध्यादेश राज है। सभी मंत्री, तंत्री बन गए हैं। कोई मंत्री क्या खाता है, पीता है, कहां जाता है, प्रधानमंत्री सब कुछ जानते हैं। लेकिन जब विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ललित मोदी के यात्रा दस्तावेज पर ब्रिटेन के अधिकारियों से बात कर रही थीं तो वे इससे अनजान थे। कांग्रेस नेता ने कहा- इसका मतलब है, प्रधानमंत्री की स्वीकृति थी, वे जिम्मेदार हैं। प्रधानमंत्री को ‘राजनीतिक ध्यान’ से बाहर आना चाहिए और सचाई राष्ट्र के सामने रखनी चाहिए।

इन खबरों के बारे में पूछे जाने पर कि आइपीएल के पूर्व प्रमुख ललित मोदी ने कांग्रेस के नेता शशि थरूर और राजीव शुक्ला की भी आवभगत की थी, वड़क्कन ने कहा कि राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की तरह ये दोनों नेता किसी सरकारी पद पर नहीं थे और इसलिए एक-दूसरे को लाभ पहुंचाने का मामला नहीं बनता है।

मालूम हो कि आइपीएल के पूर्व प्रमुख ने 2010 में मुंबई के एक होटल में शशि थरूर, राजीव शुक्ला और वसुंधरा राजे की आवभगत की थी। वसुंधरा राजे उस समय राजस्थान विधानसभा में विपक्ष की नेता थीं।

दूसरी ओर भाकपा सांसद डी राजा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए, क्योंकि पूर्व आइपीएल कमिश्नर ललित मोदी की मदद करने के आरोप में भाजपा के दो बड़े नेताओं के नाम आने से सत्तारूढ़ पार्टी के उस दावे की हवा निकल गई है कि उसने एक साल में घोटालामुक्त प्रशासन दिया है।

राजा ने कहा कि भगोड़े की मदद करके इन दोनों नेताओं ने कानून के खिलाफ काम किया है। बीसीसीआइ के कामकाज को लेकर राज्यसभा में सवाल उठा चुके राजा ने कहा कि क्रिकेट की किसी के प्रति जवाबदेही नहीं है।