एक नयी किताब में कहा गया है कि कांग्रेस पार्टी ने पूर्व प्रधानमंत्री और पूर्व पार्टी अध्यक्ष नरसिंह राव के निधन पर अपने मुख्यालय के दरवाजे बंद कर दिये थे और औपचारिक अंतिम विदाई देने से मना कर दिया था क्योंकि राव ने पार्टी पर नेहरू-गांधी परिवार के ‘स्वामित्व को समाप्त करने का अपराध’ किया था। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार रहे संजय बारू ने अपनी एक किताब में लिखा है कि सिंह एकमात्र कांग्रेसी नेता थे जिन्होंने नियमित रूप से और समर्पण के साथ नरसिंह राव को श्रद्धांजलि दी और उन्हें याद किया लेकिन वह अपने एक दशक के प्रधानमंत्रित्व काल में राव को भारत रत्न से सम्मानित नहीं कर सके।
बारू ने लिखा, ‘‘पार्टी एक बार फिर मालिकाना हक बन गयी थी।’ राव की तारीफ करते हुए उन्होंने लिखा है कि पूर्व प्रधानमंत्री ने साबित किया था कि नेहरू-गांधी खानदान से परे भी उम्मीद है और वह अपने नेतृत्व के लिए ‘भारत रत्न’ पाने के हकदार थे। उन्होंने कहा, ‘‘बीच के सालों में कांग्रेस पार्टी ने पीवी से पल्ला झाड़ लिया। पार्टी की सार्वजनिक स्मृति से एक तरह से उनका नाम हटा दिया गया।’
पुस्तक ‘1991-हाउच्च् पी वी नरसिंह राव मेड हिस्ट्री’ में बारू लिखते हैं, ‘‘जब उनका निधन हुआ तो पार्टी ने अपने मुख्यालय के द्वार बंद कर दिये और एक पूर्व अध्यक्ष को आधिकारिक अंतिम विदाई देने से इनकार कर दिया। उनका अपराध यह था कि उन्होंने आईएनसी पर नेहरू-गांधी परिवार के स्वामित्वपूर्ण नियंत्रण को समाप्त करने के प्रयास किये थे। पीवी का निधन 23 दिसंबर, 2004 को हुआ था।’