नारदा स्टिंग टेप केस में कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (TMC) के चार नेताओं को अंतरिम जमानत दी है। इनमें सूबे के दो मंत्रियों- सुब्रत मुखर्जी और फरहाद हाकिम, पार्टी विधायक मदन मित्रा और शहर के पूर्व महापौर सोवन चटर्जी हैं, जिन्हें केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने गिरफ्तार किया था।

हालांकि, बेल देते हुए अदालत ने कई शर्तें भी लगाईं। कोर्ट की पांच जजों वाली बेंच ने इन चारों आरोपी नेताओं को दो-दो लाख रुपए का निजी मुचलका जमा कराने का निर्देश दिया है। फिलहाल ये सभी नजरबंद हैं। बेंच ने साथ ही निर्देश दिया कि वे इस मामले के बारे में मीडिया में या सार्वजनिक तौर पर टिप्पणी न करें और जांच अधिकारियों द्वारा बुलाए जाने पर डिजिटल माध्यम से मुलाकात करें।

बेल देने के पहले जब सुनवाई के बाद ब्रेक हुआ था, तब वकीलों के बीच मांस-मछली को लेकर बातें हुईं थीं। अंग्रेजी वेबसाइट ‘बार एंड बेंच’ की रिपोर्ट के मुताबिक, डॉ.एएम सिंघवी, राकेश द्विवेदी, एसजी तुषार मेहता और कल्याण बंदोपाध्याय शाकाहार के मुद्दे पर बात कर रहे थे।

इसी बीच, डॉ.सिंघवी बोले कि आखिरकार किस तरह मांस के लिए जानवरों की फैक्ट्री फार्मिंग पर्यावरण से जुड़ी दिक्कतें पैदा कर रही हैं। इस चीज ने आंदोलन को जन्म दिया है, जहां मांस खाने वालों के पास मीट होना चाहिए जो कि फैक्ट्री फार्म्ड न हो। आगे कल्याण बंदोपाध्याय ने कहा कि यह चीज मांस पर लागू होती है, न कि मछली पर। हमें यहां अच्छी हिलसा और कंट्री चिकन (देसी मुर्गा) मिलता है। ये फैक्ट्री फार्म्ड नहीं होते हैं। ब्रेक खत्म होने के बाद जज फिर बैठे और उन्होंने चारों टीएमसी नेताओं को बेल दे दी।

बता दें कि कलकत्ता हाईकोर्ट के 2017 के आदेश पर नारद स्टिंग टेप मामले की जांच कर रही सीबीआई ने चारों नेताओं को 17 मई की सुबह को गिरफ्तार किया था। सीबीआई की एक विशेष अदालत ने चारों आरोपियों को 17 मई को अंतरिम जमानत दी थी, लेकिन उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की खंड पीठ ने बाद में फैसले पर रोक लगा दी थी।

बाद में इन नेताओं को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। पांच न्यायाधीशों की पीठ में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश जिंदल और न्यायमूर्ति आई पी मुखर्जी, न्यायमूर्ति हरीश टंडन, न्यायमूर्ति सोमेन सेन और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी शामिल थे। (पीटीआई-भाषा इनपुट्स के साथ)