Russia Earthquakes Tsunami Warning: रूस के कामचटका प्रायद्वीप में बुधवार सुबह 8.7 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आने के कुछ ही देर बाद रूस के कुरील द्वीप समूह और जापान के बड़े उत्तरी द्वीप होक्काइडो के तटीय क्षेत्रों में सुनामी की चेतावनी जारी की जा चुकी है। कुछ महीने पहले म्यांमार और थाइलैंड में भूकंप की वजह से भारी तबाही हुई थी। कई बड़ी इमारतें ध्वस्त हो चुकी थीं, कई सड़कें पूरी तरह तबाह हुई, सैंकड़ों लोग लापता भी बताए हुए। अब भूकंप तो भारत में भी आते हैं, कई बार आ चुके हैं, कुछ बड़े तो कुछ छोटे। लेकिन एक डर लोगों के मन में बना रहता है- अगर कोई बड़ा भूकंप आया तो क्या करेंगे? क्या भारत किसी बड़े भूकंप के लिए तैयार है? सरकार ने क्या कोई कदम उठाए हैं?
कौन सा भूकंप कितना ताकतवर?
भारत का 59 फीसदी हिस्सा भूकंप के लिहाज से संवेदनशील माना जाता है, यहां भी नवंबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच में कुल 159 भूकंप आ चुके हैं। Bureau of Indian Standards (BIS) ने भारत को भूकंप के लिहाज से 4 जोन में बांट रखा है, इसे Seismic Zone भी कहा जाता है।
Seismic Zone | Risk Level | Major Areas |
Zone V | Highly active | हिमालयी क्षेत्र, उत्तर-पूर्व, कच्छ, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह |
Zone IV | High | दिल्ली, जम्मू और कश्मीर के कुछ हिस्से, हरियाणा, बिहार, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश |
Zone III | Moderate | महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल |
Zone II | Low | डेक्कन प्लेट्यू, मध्य भारत |
भारत में वैसे तो कई मौकों पर भूकंप आए हैं, लेकिन दो सबसे भीषण माने जाते हैं। उनमें कई लोगों की जान गई थी, इमारतों को भारी नुकसान हुआ था।
साल | जगह | तीव्रता | मौतें |
1905 | कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश | 8 | 19,800 |
2001 | भुज, गुजरात | 7.9 | 12,932 |
भूकंप से निपटने के लिए क्या कदम?
अब भारत की तमाम सरकारों को इस बात का अहसास है कि देश में एक तेज तीव्रता वाला भूकंप आ सकता है। ऐसे में कई कदम उठाए गए हैं। उदाहरण के लिए 2014 तक अगर सिर्फ 80 Seismic Observatories रहती थीं, 2025 तक वो आंकड़ा बढ़कर 168 हो चुका है। इसी तरह पूरे देश में Earthquake Early Warning System शुरू करने की तैयारी है। उत्तराखंड में तो साल 2021 में ही Earthquake Early Warning System आ चुका है। जो भी इसकी फाइडिंग होती है, उसे BhuDEV (Bhukamp Disaster Early Vigilante) ऐप पर भेजा जाता है।
अब एक तरफ तकनीक के सहारे भूकंप के खतरों से बचने की कोशिश है तो वहीं दूसरी तरफ लोगों को जागरूक करना भी जरूरी है। इसी वजह से NDMA ने इस साल मार्च में ही ‘आपदा का सामना’ नाम से एक जागरूकता अभियान शुरू किया था। इसे दूरदर्शन पर प्रसारित किया गया। इसी तरह साल 2016 में पीएम मोदी ने भी भूकंप की गंभीरता को समझा था और एक 10 प्वाइंट एजेंडा तैयार किया था। तब 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए इन कदमो को जरूरी माना गया था। इस लिस्ट में अर्ली वॉर्निंग सिस्टम शुरू करने से लेकर बीमा पॉलिसी में बड़े बदलाव करना तक शामिल था।
आपदा के दौरान कौन सी एजेंसी का क्या काम?
एंजेसी | क्या काम |
National Disaster Response Force (NDRF) | 2006 में किया गया स्थापित, कुल 16 बटालियन |
National Centre for Seismology (NCS) | 1898 से भारत में आ रहे भूकंप का रख रहा रिकॉर्ड, अर्ली वॉरनिंग सिस्टम के बारे में करता रिसर्च |
National Disaster Management Authority (NDMA) | 2005 में किया गया शुरू, पीएम खुद करते हैं इसकी अध्यक्षता, आपदा से बचने बनती हैं योजनाएं |
State Disaster Management Authorities (SDMAs) | राज्य के मुख्यमंत्री अपने स्तर पर तैयार करते हैं योजनाएं |
National Institute of Disaster Management (NIDM) | ट्रेनिंग और रिसर्च के लिए 1995 में किया गया शुरू |
वैसे समय-समय पर लोगों के लिए भी गाइडलाइन जारी की जाती है। 2019 में Home Owner’s Guide के जरिए लोगों को इस बारे में बताया गया था कि आखिर कैसे अपने घर का निर्माण करें जिससे किसी बड़े भूकंप के समय रक्षा हो सके। इसी तरह 2021 में भी Simplified Guidelines आई थीं, तब मल्टी स्टोरी बिल्डिंग्स के लिए सुरक्षा के स्टैंडर्ड काफी विस्तार से बताए गए थे।