Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ए. एस . ओका ने कहा कि वो रिटायर होने वाले जजों के अपने अंतिम दिन कान न करने की परंपरा से सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मुझे रिटायर शब्द से ही नफरत है। बता दें, जस्टिस ओका 24 मई को रिटायर हो जाएंगे। जस्टिस ओका बुधवार को सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन (एससीएओआरए) द्वारा आयोजित विदाई समारोह में बोल रहे थे।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस ए. एस . ओका ने कहा कि मैंने कल भारत के चीफ जस्टिस से कहा कि मैं सुप्रीम कोर्ट में अपनाई जाने वाली एक परंपरा को स्वीकार नहीं करता, कि रिटायर जज को अंतिम दिन काम नहीं करना चाहिए। हमें इस परंपरा से छुटकारा पाने में कुछ समय लगेगा, लेकिन कम से कम मुझे एक संतुष्टि है, कि अंतिम दिन मैं नियमित बेंच में बैठूंगा और कुछ फैसले सुनाऊंगा। ओका ने कहा कि रिटायर जजों को दोपहर 1:30 बजे गार्ड ऑफ ऑनर देने की प्रथा को स्थगित किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि क्योंकि रिटायर जज को दोपहर के भोजन के तुरंत बाद घर जाने के लिए क्यों कहा जाना चाहिए। इसलिए उस प्रथा को भी बदलना होगा, ताकि जज को अंतिम कार्य दिवस पर चार बजे तक काम करने की संतुष्टि हो।

जस्टिस ओका ने यह भी कहा कि उन्हें “रिटायर शब्द से नफरत है” और उन्होंने जनवरी से अब तक जितना संभव हो सके उतने मामलों की सुनवाई करने का निर्णय लिया है।

उन्होंने बताया कि मैंने कभी भी रिटायर के बारे में नहीं सोचा था। इसलिए मेरे पास जनवरी से ही एकमात्र विकल्प था, मैंने जितना संभव हो सके उतने मामलों को लेने का फैसला किया। और इसका परिणाम यह है कि मैं, मेरे दो सम्मानित सहकर्मी, जस्टिस मसीह और जस्टिस उज्जल भुयान, हम तीनों ही अपने फैसले पूरे करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

जस्टिस ओका ने कहा कि यह इतना संवेदनशील मुद्दा बन गया है कि हर सुबह, जब मेरी पत्नी मेरे साथ टहलने जाती है, तो वह पहला सवाल मुझसे पूछती है कि ‘कितने बचे हैं?’ क्योंकि वह जानती है कि मैं बहुत संवेदनशील हूं और अपने निर्णय पूरे करने के लिए बहुत दबाव में रहता हूं।

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अपने भाषण में जस्टिस ओका ने यह भी कहा कि एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड (एओआर) भारत के सर्वोच्च न्यायालय की रीढ़ हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि उन्हें और अधिक प्रशिक्षण की आवश्यकता है और सुझाव दिया कि SCAORA के युवा सदस्यों को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी का उपयोग किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि जब पद छोड़ने का समय आएगा, तो मेरे पास कहने के लिए कुछ बिल्कुल अलग होगा। मैं एओआर द्वारा दिए गए सहयोग को कभी नहीं भूलूंगा। पहले सीजेआई ने सुप्रीम कोर्ट को एक नई दिशा दी और यह सीजेआई इसे पारदर्शिता की यात्रा पर आगे ले जाएंगे। मैं आज स्थगन चाहता हूं और मुझे जो कुछ भी कहना है, मैं कल कहूंगा।

कार्यक्रम में बोलते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने कहा कि न्यायमूर्ति ओका के साथ उनकी मित्रता 40 वर्षों से अधिक पुरानी है। सीजेआई ने कहा कि वह काम में डूबे रहते हैं। मैं जानता हूं कि सेवानिवृत्ति के बाद भी वह हमेशा व्यस्त रहेंगे और कभी भी फ्री नहीं हो पाएंगे। वहीं, केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि हालांकि वक्फ एक इस्लामी अवधारणा है, लेकिन यह इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। पढ़ें…पूरी खबर।