बिहार के बहुचर्चित मुज्जफरपुर शेल्टर होम यौन शोषण मामले में सूबे की पूर्व मंत्री मंजू वर्मा ने मंगलवार (20 नवंबर) को बेगुसराय स्थित मंझौल कोर्ट में सरेंडर कर दिया। वह इस मामले को लेकर काफी वक्त से फरार चल रही थीं। मामले की जांच-पड़ताल के दौरान उनके घर से जांच दस्ते को अवैध हथियार बरामद हुए थे। वह इस मामले के मुख्यारोपी ब्रजेश ठाकुर की नजदीकी मानी जा रही हैं। सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि वह बुर्का पहनकर कोर्ट परिसर में आई थीं।

दरअसल, 17 अगस्त को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने वर्मा के घर पर छापा मारा था, जहां से अधिकारियों को अवैध हथियार और 50 कारतूस मिले थे। उनके खिलाफ इसके बाद आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था, जिसके बाद वह फरार चल रही थीं। सुप्रीम कोर्ट ने उनके फरार होने को लेकर बिहार पुलिस पर नाराजगी भी जताई थी।

12 नवंबर को कोर्ट ने इसके अलावा सूबे के डीजीपी को आदेश जारी किया था कि अगर गिरफ्तार नहीं हुईं, तो 27 नवंबर के पहले-पहले वह (डीजीपी) पेश हों। वहीं, ताजा मामले से ठीक दो दिन पहले बिहार पुलिस ने पूर्व मंत्री की संपत्तियों को अटैच करने के लिए चलाया हुआ ऑपरेशन पूरा किया था। पुलिस ने इसी के साथ उनके घर के बाहर संपत्ति जब्त करने से संबंधित एक सूचना भी चिपकाई। जानकारों की मानें तो हर तरफ से घिरने के बाद ही वर्मा ने सरेंडर करने का फैसला लिया होगा।

शेल्टर होम कांड को लेकर वर्मा को सामाजिक कल्याण मंत्री के पद से अगस्त में इस्तीफा देना पड़ा था। आरोप था कि उनके पति चंद्रशेखर वर्मा का जुड़ाव मुख्यारोपी ठाकुर से था। वर्मा के पति 29 अक्टूबर को कोर्ट में सरेंडर कर चुके हैं। याद दिला दें कि मुंबई स्थित टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस्स) की एक ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि मुज्जफरपुर शेल्टर होम में मासूम लड़कियों के साथ कथित तौर पर बलात्कार होता था।