केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में केविएट फाइल कर कहा है कि सेना भर्ती के लिए लाई गई अग्निपथ योजना के खिलाफ डाली गई याचिकाओं पर फैसला लेने से पहले एक बार ‘उसका पक्ष जरूर सुने’। अग्निपथ योजना के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट में तीन याचिकाएं दायर गई है। हालांकि सरकार की ओर से दाखिल किए गए केविएट में किसी भी याचिका का नाम नहीं लिया गया है।
वकील हर्ष अजय सिंह ने सोमवार (20- जून-2022) को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर केंद्र को अपनी ‘अग्निपथ’ भर्ती योजना पर पुनर्विचार करने का निर्देश जारी करने की मांग की। याचिका में यह भी कहा गया है कि योजना की घोषणा के कारण देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं। इससे पहले वकील एमएल शर्मा और विशाल तिवारी की ओर से दो अलग- अलग याचिकाएं दायर की गई थी।
वकील एमएल शर्मा की ओर से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि सरकार ने सशस्त्र बलों के लिए एक सदी पुरानी चयन प्रक्रिया को रद्द कर दिया है, जो संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत है और यह फैसला संसद की सहमति लिए बिना किया गया है।
पिछले हफ्ते, वकील विशाल तिवारी ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया था कि इस योजना के कारण राष्ट्रीय सुरक्षा और सेना पर पड़ने वाले प्रभाव को जांचने के लिए एक समिति बनाई जाए। इसके साथ तिवारी ने से कोर्ट इस योजना के खिलाफ बड़े पैमाने पर हुई हिंसा की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का निर्देश देने की भी मांग की, जिसके कारण सार्वजनिक संपत्ति को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है।
बता दें, केंद्र सरकार की ओर से 14 जून को अग्निपथ योजना के जरिए नई सेना भर्ती प्रक्रिया को देश के सामने रखा था। इस योजना के जरिए सेना में 17.5 से लेकर 18 साल के युवाओं की भर्ती 4 साल के लिए की जानी है। इसमें पहले ही सैनिकों को रिटायर होने के बाद मासिक पेंशन और ग्रैच्युटी जैसी सुविधाएं नहीं दी जाएगी। इस योजना के आने के बाद से ही देशभर में युवाओं ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था।