महाराष्ट्र में एक कैदी की पत्नी से छेड़छाड़ के मामले में महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग ने अधिकारी पर एक लाख का जुर्माना लगाया था और जेल अधिकारी को 6 हफ्ते के अंदर यह राशि देने के लिए कहा था। 27 नवंबर को यह डेडलाइन खत्म हो गई लेकिन अधिकारी ने महिला को मुआवजा देने से इनकार कर दिया। अधिकारी का कहना है कि उसे फंसाया जा रहा है।
MSHRC के सदस्य एम ए सईद की अध्यक्षता वाली पीठ ने पाया कि जेल के कर्मचारी सुरेश बिन्नर ने “अपनी आधिकारिक स्थिति का दुरुपयोग किया और उन्होंने कथित तौर पर अधारवाड़ी जेल में बंद एक अंडर ट्रायल कैदी की पत्नी के साथ छेड़छाड़ की थी।
आयोग ने कहा, “पीड़ित व्यक्ति के सम्मान और सम्मान के साथ जीने के अधिकार को अधिकारी के कथित विकृत कार्रवाई से नुकसान पहुंचा है। आयोग ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक और कारागार महानिरीक्षक को कर्मचारियों से 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाने और महिला को मुआवजा देना का निर्देश दिया था।
दरअसल, अक्टूबर 2017 में, आधारवाड़ी जेल में बंद कैदी ने जेल अधीक्षक के जरिए आयोग का दरवाजा खटखटाया था। कैदी के खिलाफ चार पुलिस थानों में कई मामले दर्ज हैं। उसने दावा किया कि बिन्नार (55) ने उसकी पत्नी को अपने फोन पर बुलाया और उसे अपने कार्यालय में मिलने के लिए कहा।
मराठी में लिखी गई शिकायत में कहा गया है कि उनकी पत्नी को उसने अनुचित तरीके से छुआ और अधिकारी ने अश्लील टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी द्वारा सबूत के तौर पर एक वीडियो शूट किया था। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक और पुलिस महानिरीक्षक (जेल) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि बिन्नार को निलंबित कर दिया गया था और विभागीय जांच में रखा गया था। दूसरी जेल में तैनात होने से पहले बिन्नार छह महीने तक निलंबित रहे।
बिन्नर का कहना है कि आयोग की बैठक के दौरान उनको अपनी बात रखने का मौका ही नहीं दिया गया। बिन्नर का कहना है कि उन्हें फंसाया गया है। जेलर और जेल के एक और स्टाफ के बीच आपसी कहा सुनी हो गई थी जिसके बाद उन्होंने उनको डांट लगाई थी। बिन्नर का कहना है कि इसी के चलते उन्हें फंसाया जा रहा है। बिन्नर का कहना है कि वह हाईकोर्ट में इस मामले को लेकर अपील करेंगे। उनके पास देने मुआवजा देने के लिए इतने पैसे नहीं हैं।