Dharavi Redevelopment Project: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान धारावी और अडानी मुद्दा सुर्खियों में छाया रहा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लगातार इस मुद्दे को लेकर भाजपा और केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने धारावी की जमीन अडानी ग्रुप को देने का आरोप लगाया। धारावी की जमीन बेशकीमती है और यह करीब 600 एकड़ से अधिक में फैली है। बताया जाता है धारावी इतना बड़ा है, जितना बड़ा न्यूयॉर्क का सेंट्रल पार्क है। धारावी रिडेवलपमेंट के लिए पिछले 45 सालों से काम हो रहा है लेकिन अभी तक कुछ भी नहीं हो पाया।

कितनी कीमती है धारावी की जमीन?

धारावी दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी स्लम बस्ती है और एशिया की सबसे बड़ी स्लम बस्ती है। धारावी में रहने वालों को लेकर अभी तक स्पष्ट आंकड़ा उपलब्ध नहीं है लेकिन माना जाता है कि करीब 8 से 9 लाख लोग यहां पर रहते हैं। धारावी की जमीन की कीमत का अंदाजा अब इसी बात से लगा सकते हैं कि यह अगल-बगल कई रेलवे स्टेशनों से घिरा हुआ है और बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स से कुछ मीटर की ही दूरी पर है। बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स मुंबई ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे पॉश इलाकों में आता है।

1980 से हो रहा रिडेवलपमेंट का प्रयास

धारावी को डेवलप करने का प्रयास सबसे पहले 1980 में हुआ था। हालांकि यह असफल रहा। इसके बाद 2004 में महाराष्ट्र की सरकार ने फिर से इसे डेवलप करने की सोची लेकिन धरातल पर नहीं उतर पाया। उस दौरान यह फैसला किया गया था कि 1 जनवरी 2000 से पहले जो भी लोग यहां पर रहते हैं, उन्हें 300 स्क्वायर फीट का घर सरकार की तरफ से फ्री में दिया जाएगा। बाकी जगहों पर कमर्शियल स्पेस बनाया जाएगा। हालांकि यह संभव नहीं हो पाया।

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पहला टेंडर हुआ रद्द

इसके बाद 2018 में महाराष्ट्र की भाजपा-शिवसेना सरकार ने एक बार फिर से काम शुरू किया। इस सरकार ने स्पेशल पर्पज व्हीकल का गठन किया और पुनर्विकास परियोजना की अधिसूचना जारी की। इसके बाद दुबई की एक कंपनी ने टेंडर हासिल कर लिया लेकिन रेलवे की जमीन को लेकर मामला फिर से अटक गया और 2020 में टेंडर रद्द कर दिया गया।

तीन कंपनियों ने लगाई थी बोली

इसके बाद 2022 में धारवी के पुनर्विकास के लिए फिर से टेंडर निकाला गया और इसमें तीन कंपनियों ने बोली लगाई। इसमें अडानी ग्रुप, डीएलएफ ग्रुप और नमन ग्रुप शामिल था। नमन ग्रुप ने टेंडर की शर्तों को पूरा नहीं किया था इसलिए वह टेंडर की प्रक्रिया से पहले ही बाहर हो गया। इसके बाद अडानी ग्रुप ने 5069 करोड़ रुपये की सबसे अधिक बोली लगाई और उसे इस प्रोजेक्ट का काम मिल गया।

अडानी ग्रुप को मिला काम

इसके बाद इस परियोजना के लिए महाराष्ट्र सरकार और अडानी ग्रुप ने मिलकर एक ज्वाइंट वेंचर स्थापित किया। इसका नाम धारावी रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड (DRPPL) रखा गया। इसके बाद अडानी ग्रुप में इस प्रोजेक्ट के तहत धारावी के निवासियों को 350 स्क्वायर फीट का मकान और सभी सुविधाएं देने का ऐलान किया। इसके अलावा वहां पर व्यावसायिक गतिविधियों के लिए भी इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने की बात कही गई।

अडानी ग्रुप इस प्रोजेक्ट पर लगातार काम कर रहा है और उसने हफीज कांट्रैक्टर, अमेरिका की डिजाइन फर्म ससाकी और ब्रिटिश कंसल्टेंसी फर्म बूरो हपोल्ड के साथ पार्टनरशिप भी कर लिया है। हफीज कांट्रैक्टर, जो यहां पर घर बनाएगा, उसे सोशल हाउसिंग प्रोजेक्ट बनाने का लंबा अनुभव है।

क्या अडानी को मिल जाएगी धारावी की जमीन?

बड़ा सवाल उठता है कि अगर इस प्रोजेक्ट पर अडानी ग्रुप काम करेगा, तो धारावी की कीमती जमीन उसे मिल जाएगी। इसका जवाब है, नहीं। धारावी झुग्गी बस्ती पुनर्विकास परियोजना में अडानी ग्रुप को लैंड ट्रांसफर नहीं करने की बात की गई है। जमीन महाराष्ट्र सरकार के विभागों को ट्रांसफर की जाएगी। अडानी ग्रुप केवल इस प्रोजेक्ट का डेवलपर है जो मकान बनाएगा और उसके बाद वहां के निवासियों को सौंप देगा। इसके बाद घरों का आवंटन यहां पर रह रहे लोगों को कर दिया जाएगा।

इस प्रोजेक्ट से जुड़े सूत्रों के अनुसार जमीन के टुकड़े सिर्फ राज्य सरकार के अलावा धारावी पुनर्विकास परियोजना को ट्रांसफर किए जाने हैं। अडानी ग्रुप केवल यहां पर आवास और कमर्शियल स्पेस बनाएगा और फिर उन्हें धारावी रिडेवलपमेंट परियोजना को सौंप देगा।

क्या दूसरी जगह लोगों को मिलेगा घर?

लोगों के मन में एक और संशय है कि यहां के लोगों को बेघर कर दिया जाएगा और उन्हें दूसरी जगह घर दिया जाएगा। लेकिन यह भी केवल अफवाह है। सूत्रों के अनुसार सरकार ने अपने आदेश में यह शर्त रखी है कि धारावी के हर एक निवासी को धारावी में ही घर दिया जाएगा। किसी भी धारावीवासी को विस्थापित नहीं किया जाएगा। शर्त के अनुसार 1 जनवरी 2000 या उससे पहले मौजूद मकान मालिकों को यहां पर घर दिया जाएगा। वहीं 1 जनवरी 2000 से लेकर 1 जनवरी 2011 के बीच जो लोग यहां पर बसे, उन्हें मुंबई महानगर क्षेत्र में कहीं भी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ढाई लाख रुपये में या फिर किराए के माध्यम से घर आवंटित किए जाएंगे।