महाराष्ट्र के डांस बार फिर से खुल सकते हैं क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने आज इन पर प्रतिबंध लगाने वाले राज्य के कानून के क्रियान्वयन पर इस शर्त के साथ रोक लगा दी कि नृत्य अश्लील नहीं होना चाहिए। उधर, महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि वह पाबंदी बरकरार रखने पर जोर देगी।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति प्रफुल्ल चंद्र पंत की पीठ ने कहा, ‘‘हम महाराष्ट्र पुलिस (द्वितीय संशोधन) कानून की धारा 33 (ए)(1) के प्रावधानों पर रोक लगाना उचित समझते हैं।’’
शीर्ष अदालत के इस आदेश ने हजारों बार डांसरों और रेस्तरां मालिकों को बड़ी राहत दी है। इसके साथ ही न्यायालय ने अपने आदेश में एक शर्त भी लगाई कि नृत्य के दौरान किसी भी तरह की अश्लीलता वाली भाव भंगिमा नहीं होनी चाहिए और लाइसेंस देने वाले प्राधिकार को इनके नियमन की शक्ति दी ताकि महिला कलाकारों की गरिमा को किसी प्रकार की ठेस नहीं पहुंचे।
शीर्ष अदालत ने ‘इंडियन होटल एंड रेस्तरां एसोसिएशन’ की याचिका अंतिम सुनवाई के लिए पांच नवंबर को सूचीबद्ध की और कहा कि इसी मसले से संबंधित मामले में यह न्यायालय 2013 में पहले ही निर्णय कर चुकी है।
महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई शुरू होते ही कहा कि एसोसिएशन को अंतरिम राहत दी जा सकती है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राज्य सरकार शीर्ष अदालत में बारों तथा अन्य स्थलों पर नृत्य के आयोजन पर पाबंदी बनाए रखने की अपनी मांग पर जोर देगी।
फडणवीस ने मुंबई में कहा, ‘‘हालांकि उच्चतम न्यायालय का अंतरिम आदेश डांस बारों पर पाबंदी के बजाय नियमन की व्यवस्था देता है, (राज्य) सरकार अब भी पाबंदी के समर्थन में है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम उच्चतम न्यायालय में अपनी मांग पर गौर करेंगे और इस पर जोर देंगे।’’
महाराष्ट्र सरकार ने बंबई पुलिस कानून में 2005 में संशोधन किया था जिसे रेस्तरां और बार का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। संशोधन में अश्लीलता और वेश्यावृत्ति को बढ़ावा देने के आधार पर बारों में नृत्य पर रोक लगा दी गई थी।
राज्य पुलिस ने 2005 में पहली बार बारों में नृत्य के खिलाफ अभियान चलाया था। हालांकि पांच सितारा होटलों सहित चर्चित प्रतिष्ठानों को इससे छूट दी गई थी। इसके बाद राज्य सरकार ने सभी प्रतिष्ठानों पर नृत्य पर पाबंदी लगाने के लिए एक कानून पारित किया।
उच्च न्यायालय ने 12 अप्रैल 2006 में सरकार के फैसले को निरस्त करते हुये इस प्रावधान को असंवैधानिक करार दिया था और कहा था कि यह नागरिकों को कोई भी पेशा, कारोबार या व्यापार करने की अनुमति देने वाले संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(जी) के खिलाफ है।
लेकिन राज्य सरकार ने इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील दायर की। शीर्ष अदालत ने 16 जुलाई, 2013 को उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखते हुये कहा था कि इस तरह के प्रतिबंध से आजीविका अर्जित करने के संवैधानिक अधिकार का हनन होता है।
इसके बाद राज्य विधान सभा ने 13 जून, 2014 को महाराष्ट्र पुलिस (द्वितीय संशोधन) विधेयक पारित किया जिसके तहत तीन सितारा और पांच सितारा होटलों में डांस प्रदर्शन के लिये लाइसेंस देने पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
बिना चर्चा के पारित इस विधेयक के दायरे में रंगमंच, सिनेमाघर, प्रेक्षागृह, क्रीड़ा क्लब और जिमखाना को भी ले आया गया था जहां प्रवेश सिर्फ सदस्यों के लिये ही था। इस संशोधन को इंडियन होटल एंड रेस्तरां एसोसिएशन तथा अन्य ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी।
इस कदम का स्वागत करते हुए फिल्मनिर्माता मधुर भंडारकर ने कहा, ‘‘सभी डांस बारों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगना गलत है। अश्लीलता पर रोक लगाने के लिए नियम होने चाहिए।’’