मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एनसीपी नेता एकनाथ खडसे की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। एक स्पेशल कोर्ट ने मंगलवार को उनकी पत्नी मंदाकिनी खडसे के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है।
जमीन हड़पने के मामले में ये कार्रवाई हुई है। इसके अलावा कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका को भी खारिज कर दिया है।
प्रवर्तन निदेशालय द्वारा शिकायत दर्ज करने के बाद अदालत ने खडसे और उनकी पत्नी को अपने समक्ष उपस्थित रहने का निर्देश दिया था। ये मामला एक कथित मनी लॉन्ड्रिंग केस से जुड़ा था।
अदालत ने कहा कि मंदाकिनी सामने उपस्थित होने से परहेज कर रही हैं। उनका मंगलवार को पेशी से छूट के लिए दिया गया चिकित्सा आधार संतोषजनक नहीं था और इसीलिए उनके खिलाफ वारंट जारी किया गया।
बता दें कि खडसे ने पिछले हफ्ते यह कहते हुए पेशी से छूट मांगी थी कि उनकी सर्जरी हो रही है। मंगलवार को मेडिकल आधार पर फिर से छूट मांगी गई थी। अदालत ने उन्हें 21 अक्टूबर को उपस्थित रहने का निर्देश देते हुए छूट की अनुमति दी है।
ईडी ने खडसे, उनकी पत्नी, दामाद गिरिया चौधरी और दो अन्य को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी के रूप में नामित किया है और उन पर आरोप लगाया है कि 2016 में जब वे भाजपा के दौर में राजस्व मंत्री थे, तो उन्होंने अपने परिवार को लाभ पहुंचाने के लिए भूमि सौदे में अपने पद का दुरुपयोग किया था।
चौधरी हिरासत में हैं, जबकि एक अन्य सह-आरोपी रवींद्र मुले को पिछले सप्ताह जमानत दी गई थी। एडवोकेट मोहन टेकावडे ने कहा कि इस आदेश के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील की जाएगी।
बता दें कि महाराष्ट्र के कई बड़े नेताओं पर ईडी ने शिकंजा कसा है। ज्यादातर राज्य सरकार में शामिल पार्टियों के नेताओं के खिलाफ कार्रवाई के कारण ईडी पर सवाल भी उठे थे। ईडी ने अनिल देशमुख, एकनाथ खडसे, अनिल परब और भावना गवली के खिलाफ कार्रवाई की थी।
बीजेपी से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में गए महाराष्ट्र के वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे भी ईडी की रडार पर चढ़ चुके थे इसीलिए उनसे भूमि सौदे मामले में पूछताछ की गई थी और उनका बयान दर्ज किया गया था।
