आशुतोष भारद्वाज
छत्तीसगढ़ सरकार की आधिकारिक फाइलों में संजय सिंह का जिक्र अक्सर ‘मुख्यमंत्री के साले’ के तौर पर होता है। कम से कम एक फाइल में तो एक अधिकारी ने उनके कामों को ‘मुख्यमंत्री के साले संजय सिंह का नया कारनामा’ के तौर पर व्यक्त किया।
विधानसभा में भी रमन सिंह पर किए जाने वाले कई कटाक्षों में निशाने पर संजय सिंह ही रहते हैं। छत्तीसगढ़ पर्यटन विभाग के गलियारों में संजय सिंह के फर्श से अर्श पर पहुंचने के कई किस्से सुने जा सकते हैं। संजय सिंह हालांकि मुख्यमंत्री रमन सिंह की पत्नी वीना के दूर के रिश्तेदार हैं लेकिन रमन सरकार के ग्यारह वर्षों के शासन में इतनी रिश्तेदारी पर्याप्त है।
जब रमन सिंह ने दिसंबर 2003 में सत्ता संभाली तब संजय सिंह पर्यटन विभाग में तीसरे दर्जे के कर्मचारी थे। उसके बाद कुछ ही वर्षों में उन्हें दो-दो तरक्कियां मिल गईं, पहले उप महाप्रबंधक और फिर महाप्रबंधक। दोनों ही पदोन्नितयों को बाद में अवैध ठहराया गया। बाद में उनकी प्रतिनियुक्ति परिवहन संयुक्त आयुक्त के तौर पर हुई। भ्रष्टाचार के एक मामले में वे दोषी ठहराए जा चुके हैं और उन पर लगे एक अन्य आरोप की जांच चल रही है।
हाल ही में जब सदन में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने संजय सिंह को रमन सरकार में मिले फायदों की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘जोरू का भाई एक तरफ, सारी खुदाई एक तरफ’ तो विधायकों में ठहाके गूंज उठे। एक और कांग्रेसी विधायक कवासी लखमा ने रमन सिंह को सलाह देते हुए कहा, ‘एक कहावत है- गांव में लाला, खेत में नाला और घर में साला पालना ठीक नहीं।’
संजय सिंह बेजा फायदे मिलने से इनकार करते हैं। वहीं ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की ओर से पूछे जाने पर रमन सिंह के दफ्तर की ओर से कहा गया ‘मुख्यमंत्री कार्यालय संजय सिंह से खुद को पूरी तरह अलग करता है। अगर उन्होंने कुछ गलत किया है तो उनके विभाग की ओर से उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।’
पर्यटन विभाग के पूर्व उप महाप्रबंधक एमजी श्रीवास्तव की अध्यक्षता में संजय सिंह के विरुद्ध जांच हुई। वे साफ कहते हैं, ‘उन्होंने (संजय सिंह ने) मुख्यमंत्री के रिश्तेदार होने के चलते ही कई नाजायज लाभ लिए।’
संजय सिंह के विरुद्ध लंबी जांच के बाद 2013 में पर्यटन विभाग ने महाप्रबंधक के तौर पर उनकी पदोन्नति को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि ‘यह अवैध है, पिछली तारीख से की गई, नियमों को तोड़ा-मरोड़ा गया और एक व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने की मंशा से की गई।’ संजय सिंह इसके खिलाफ हाई कोर्ट में गए और पदोन्नति रद्द किए जाने के विरुद्ध स्टे ले लिया। पर्यटन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं, ‘यह संभवत: एकमात्र ऐसा मामला है जब तीसरे दर्जे का एक कर्मचारी तीन साल में महाप्रबंधक बन गया।’
संजय सिंह, जो अभी भी महाप्रबंधक के पद पर हैं, कहते हैं, ‘किसी कर्मचारी को पदोन्नत करना सरकार का विशेषाधिकार है।’
होती गई तरक्की:
* 1986: संजय सिंह मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग में तीसरे दर्जे के कर्मचारी के तौर पर भर्ती हुए।
* 2005: पर्यटन विभाग में उप महाप्रबंधक बने। वर्ष 2013 में इस पदोन्नति को अवैध ठहराया गया।
* 2008: उप महाप्रबंधक बनने के बाद से उन पर वित्तीय व अन्य गड़बड़ियों के कई आरोप लगे, लेकिन इसके बावजूद उन्हें महाप्रबंधक बना दिया गया। इस पदोन्नति को भी अवैध ठहराया गया।
* 2009: मुख्यमंत्री ने परिवहन संयुक्त आयुक्त के तौर पर उनकी प्रतिनियुक्ति को मंजूरी दी।
* 2013: महाप्रबंधक के तौर पर उनकी पदोन्नति रद्द कर दी गई लेकिन उन्होंने अदालत से स्टे ले लिया।