रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी अपने छोटे भाई अनिल अंबानी की दिवालिया हो चुकी कंपनी रिलायंस कम्यूनिकेशंस को खरीदने की योजना बना रहे हैं। बता दें कि रिलायंस कम्यूनिकेशंस को दिवालिया कानून के तहत नीलाम किया जा रहा है। जिसके लिए मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस जियो ने इसे खरीदने में रुचि दिखाई है और ऐसी खबरें हैं कि कंपनी जल्द ही रिलायंस कम्यूनिकेशंस की नीलामी प्रक्रिया में शामिल हो सकती है। बिजनेस टुडे की एक खबर के अनुसार, इस मामले से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि रिलायंस कम्यूनिकेशंस का अधिग्रहण मुकेश अंबानी के लिए काफी मायने रखता है।

दरअसल इस अधिग्रहण से रिलायंस जियो की सेवाओं को जबरदस्त विस्तार मिलेगा और भारत के दूरसंचार क्षेत्र में कंपनी की पकड़ और मजबूत होगी। इसके अलावा रिलायंस कम्यूनिकेशंस का नवी मुंबई स्थित धीरुभाई अंबानी नॉलेज सिटी या कहें कि DAKC पर अधिकार है। ऐसे में इस सौदे के तहत मुकेश अंबानी को वह जमीन भी मिल जाएगी, जिसका उनके पिता धीरुभाई अंबानी ने 90 के दशक में ICI पोलिस्टर फाइबर बिजनेस से अधिग्रहण किया था। बता दें कि रिलायंस कम्यूनिकेशंस पर करीब 46,000 करोड़ रुपए का कर्ज है।

सूत्रों के अनुसार, रिलायंस जियो ने अपने फाइबर और टॉवर बिजनेस को ‘इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट’ को ट्रांसफर कर दिया है, ताकि रिलायंस कम्यूनिकेशंस और 5जी सेवाओं के निवेश के लिए किसी तरह की कानूनी परेशानी सामने ना आए। रिलायंस जियो का लीगल विभाग रिलायंस कम्यूनिकेशंस के सौदे पर बारीकी से नजर बनाए हुए है। उल्लेखनीय है कि मार्च में मुकेश अंबानी ने अनिल अंबानी की उस वक्त भी मदद की थी, जब मुकेश अंबानी ने 580 करोड़ रुपए चुकाकर एरिक्सन मामले में अनिल अंबानी को जेल जाने से बचाया था।

रिलायंस कम्यूनिकेशंस का सौदा मुकेश अंबानी के लिए इसलिए भी अहम है, क्योंकि रिलायंस के बंटवारे से पहले मुकेश अंबानी टेलीकॉम बिजनेस में उतरना चाहते थे, लेकिन बंटवारे के बाद रिलायंस कम्यूनिकेशंस अनिल अंबानी के हिस्से में चली गई थी। अब कुछ साल पहले मुकेश अंबानी रिलायंस जियो के साथ टेलीकॉम बिजनेस में दस्तक दी है और आते ही इस क्षेत्र के बड़े खिलाड़ी बन गए हैं।

रिलायंस जियो पहले से ही आरकॉम के मुंबई सहित 21 सर्किल में 850MHz एयरवेव का इस्तेमाल कर रही है। रिलायंस जियो ने इससे पहले रिलायंस कम्यूनिकेशंस के 122.4MHz स्पेक्ट्रम और 850 MHz बैंड को खरीदने की योजना बनायी थी, लेकिन टेलीकम्यूनिकेशन विभाग ने इस सौदे को मंजूरी नहीं दी थी। दरअसल जियो ने कम्यूनिकेशन विभाग के आरकॉम पर बकाए को चुकाने से इंकार कर दिया था। यह सौदा 7300 करोड़ रुपए में होना था।