कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को उनका श्रीनगर वीवीआईपी जोन में मिला सरकारी आवास खाली करना पड़ा है। आजाद के अलावा जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को एक नवंबर तक अपने आधिकारिक बंगले खाली करने का आदेश दिया गया है। यह आदेश जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत जारी किया गया है।
दरअसल, जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी कर दिया गया है, ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्रीयों को मिलने वालीं विशेष सुविधाएं भी उन से छीन ली गईं हैं। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अब तक जम्मू-कश्मीर राज्य विधानमंडल सदस्य पेंशन अधिनियम 1984 के तहत सरकारी संपत्तियों और सुख-सुविधाओं का लाभ उठा रहे थे। इसके तहत जम्मू-कश्मीर के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को ताउम्र रहने के लिए एक बंगला मिलता है जिनका किराया भी नहीं लगता। ये लाभ 1 नवंबर को खत्म हो जाएंगे, जब जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 प्रभावी होगा।
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद जम्मू और कश्मीर के पहले मुख्य मंत्री थे। 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के बाद महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला को नजरबंद कर दिया गया था। इन दोनों के अलावा फारूक अब्दुल्ला को भी उनके निजी मकान में ही नजरबंद कर दिया गया है। बता दें 9 अगस्त को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल 2019 को मंजूरी दे दी थी। इस बिल के तहत जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित राज्यों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में पुनर्गठित होगा। जिसमें जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी और लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी।