केंद्र सरकार ने केन्द्रीय विद्यालयों में सांसदों का कोटा खत्म कर दिया गया है और सोमवार को सरकार की ओर से संसोधित प्रवेश के दिशानिर्देश जारी कर दिए गए हैं। केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) द्वारा एमपी कोटे सहित ‘विशेष प्रावधानों’ के तहत दाखिले को अगले आदेश तक रोके रखने के एक हफ्ते बाद यह कदम उठाया गया है। हाल ही में संपन्न हुए संसद सत्र के दौरान कांग्रेस के मनीष तिवारी और भाजपा के सुशील मोदी सहित कई सांसदों ने मांग की थी कि कोटा खत्म कर दिया जाए या फिर सरकार को सीमा बढ़ानी चाहिए।

केंद्रीय विद्यालय संगठन के वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि, “संगठन द्वारा उचित विचार के बाद संशोधन किए गए हैं। प्रवेश के ‘विशेष प्रावधान’ खंड के तहत कुछ अन्य कोटा के साथ एमपी कोटा को खत्म कर दिया गया है। उनकी जगह कुछ नए कोटा भी शामिल किए गए हैं।” एमपी कोटे के अलावा केवीएस ने शिक्षा मंत्रालय के कर्मचारियों के 100 बच्चों, सांसदों और सेवानिवृत्त केवी कर्मचारियों के बच्चों और आश्रित पोते और स्कूल प्रबंधन समिति के अध्यक्ष के कोटे को भी हटा दिया है। एमपी (सांसद) और अन्य कोटा के खत्म होने बाद केन्द्रीय विद्यालय में अब करीब 40 हजार सीटें खली हुईं हैं।

नए कोटे में केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत प्रदान की गई सूची के अनुसार सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, सीआईएसएफ, एनडीआरएफ और असम राइफल्स जैसे समूह बी और सी केंद्रीय पुलिस संगठनों के बच्चों के लिए 50 सीटें शामिल हैं, जो आंतरिक सुरक्षा, सीमा पर पोस्टिंग, आपदा प्रतिक्रिया और अन्य अग्रिम पंक्ति के क्षेत्र के लिए तैनात हैं। इसके अलावा केवीएस ने प्रावधानों के तहत आधिकारिक तौर पर पीएम केयर्स योजना के तहत शामिल बच्चों को भी कोटे में शामिल किया है।

बता दें कि शिक्षा मंत्री और विद्यालय संगठन के अध्यक्ष ने विद्यालय संगठन के कामकाज की समीक्षा की थी और इसमें पाया गया था कि विवेकाधीन कोटे के तहत प्रवेश देने से छात्र-शिक्षक अनुपात पर असर पड़ता है जिससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होती है।

21 मार्च को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लोकसभा से सामूहिक रूप से बहस करने और यह तय करने का आग्रह किया कि केंद्रीय विद्यालय में एमपी (सांसद) कोटा जारी रहना चाहिए या नहीं। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी सुझाव दिया था कि इस मामले पर बहस के लिए एक सर्वदलीय बैठक हो सकती है।