MP News: मध्य प्रदेश के इंदौर में चमकदार शीतला माता बाजार में मुस्लिम व्यापारी और दुकानदार मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। वे अपना माल बेचने के लिए लोगों से फोन पर बात कर रहे है और सेल्समैन नौकरी के लिए भीख मांग रहे हैं। इसके अलावा दर्जी आखिरी मिनट में अपने ऑर्डर्स पूरे करने के लिए दौड़ रहे हैं। इस परेशानी की जड़ में बीजेपी नेता का एक बयान है, जिसमें उन्होंने मुस्लिम व्यापारियों को अल्टीमेटम दिया है।

दरअसल, इंदौर बीजेपी के उपाध्यक्ष और दक्षिणपंथी संगठन हिंदू रक्षक के प्रमुख एकलव्य गौड़ ने मुस्लिम समुदाय को 25 सितंबर तक बाजार छोड़ने का अल्टीमेटम जारी किया। इंदौर-4 की विधायक मालिनी गौर के बेटे एकलव्य पहली बार तब चर्चा में आए थे, जब उन्होंने और उनके समर्थकों ने जनवरी 2021 में इंदौर के एक कैफे पर धावा बोल दिया। उसमें मुस्लिम हास्य कलाकार मुनव्वर फारुकी और उनके साथ प्रदर्शन करने वालों पर हिंदू देवी-देवताओं का मजाक उड़ाने का आरोप लगाया और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

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शीतला बाजार में दिखता है हिंदू-मुस्लिम सामंजस्य

शीतला माता बाजार की बात करें तो यहां मुख्यतः हिंदू मालिकों और मुस्लिम सेल्समैन, दर्जियों या हेलपर्स के बीच एक जटिल सामंजस्य देखने को मिलता है। इसे ही कपड़ा बाजार की रीढ़ माना जाता है। यह बाज़ार अपनी खचाखच भरी गलियों, साड़ियों के बंडलों, रंग-बिरंगे लहंगों और एक दरवाज़े से भी संकरी दुकानों के लिए जाना जाता है।

अपने रुख के लिए क्या बोले बीजेपी नेता?

जब बीजेपी नेता से इस अल्टीमेटम को लेकर सवाल किया गया तो एकलव्य ने कहा कि पिछले दो सालों से महिलाओं के उत्पीड़न की शिकायतें मिल रही थीं। ऐसे में लोगों ने पुलिस की बजाए स्थानीय विधायक से संपर्क किया। पूरे मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाए जाने के सवाल पर एकल्वय ने कहा कि मैं स्थानीय व्यापारियों के साथ एक बैठक में था और उन्होंने इस तरह की हरकतों में लिप्त लोगों को हटाने का फैसला किया। उन्होंने एक खास समुदाय के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला किया।

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पुलिस के पास भेजी शिकायतें

कई हिंदू दुकानदारों ने इस आदेश का विरोध किया और अपने पुराने सहयोगियों की रक्षा के लिए छोटे-छोटे प्रदर्शन किए अन्य ने डर के कारण इसका पालन किया। मुस्लिम समुदाय ने आर्थिक बहिष्कार को लेकर पुलिस को दो शिकायतें भेजी हैं। इंदौर रेंज-4 के डीसीपी आनंद कलागड़ी ने कहा कि हमने शिकायतों की जाँच के लिए एक डीसीपी स्तर के अधिकारी को नियुक्त किया है। एक शिकायत मुझे और दूसरी अतिरिक्त डीसीपी को भेजी गई है। हम शिकायतों की निष्पक्ष जांच करेंगे।

क्या हुआ मुस्लिमों के बहिष्कार का असर?

बाज़ार में आर्थिक मार तुरंत पड़ी है। एक 25 वर्षीय उद्यमी ने हाल ही में अपनी साड़ी की दुकान खोलने के लिए 10 लाख रुपये का कर्ज़ लिया था, अपना स्टॉक घाटे में बेचकर परेशान है। आगे के नतीजों के डर से नाम न बताने की शर्त पर उस व्यक्ति ने कहा कि मैं कर्ज़ में डूब जाऊँगा। अपने ही देश में हमारा बहिष्कार कैसे हो सकता है? अब मैं कहां जाऊं?

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कुछ इसी तरह 48 साल के गौरव भी परेशानी बताते नजर आए। उन्होंने कहा कि इस दशहरे पर धंधा मंदा रहा। हमें कुछ कर्मचारियों को निकालना पड़ा और जश्न भी फीका रहा। इस हिंदू-मुस्लिम विवाद ने धंधा चौपट कर दिया है। कई हिंदू दुकानदारों ने इस आदेश का विरोध किया और अपने पुराने साथियों की रक्षा के लिए छोटे-छोटे प्रदर्शन किए, कुछ ने डर के मारे इसका पालन किया। एक व्यापारी, विष्णु विजयवर्गीय ने कहा कि हमारे सबसे अच्छे मज़दूर, हमारे सबसे कुशल सेल्समैन, बचपन से ही यहां काम कर रहे हैं।व्यापारी ने कहा कि इस प्रतिबंध के कारण, उनके परिवारों की महिलाओं ने भी खरीदारी के लिए आना बंद कर दिया है।

तीस साल के एक आदमी ने फ़ोन उठाकर कपड़ों से भरी अलमारियों की तस्वीरें दिखाते हुए कहा कि मैंने 15 साल की उम्र में शुरुआत की थी कपड़ों को मोड़ना और ग्राहकों से बात करना सीखा था। अब मेरी दुकान के हम तीनों लोग बेरोजगार हैं। उन्होंने कहा कि मेरे फ़्लैट की ईएमआई 21,500 रुपये है। हम कोई छोटा-मोटा काम ढूंढ रहे हैं। मेरे एक दोस्त ने पिछली गली के एक गोदाम में कार्टन बदलने का काम शुरू कर दिया है।

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