कोरोना काल में एक तरफ जहां मध्यवर्गीय परिवार औद्योगिक महानगर में नौकरी छूटने या कारोबार ठप होने का दंश झेलकर जैसे तैसे गुजर बसर करने की जद्दोजहद में लगे हैं। वहीं, ऐसे हालात में निजी स्कूलों की मनमर्जी उनके लिए सबसे बड़ी परेशानी साबित हो रही है।
अधिकांश निजी स्कूलों ने अर्ध वार्षिक परीक्षा से पहले पूरी फीस जमा कराने और नहीं जमा कराने वाले विद्यार्थियों को परीक्षा में नहीं बैठने का नोटिस जारी किया है। नामचीन स्कूलों से इतर गांवों और बस्तियों में खुले छोटे-छोटे स्कूल जबरदस्ती फीस जमा कराने के लिए अभिभावकों को धमकी तक देने से गुरेज नहीं कर रहे हैं।
सेक्टर- 56 स्थित एक स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे की अभिभावक बबीता ने बताया कि कोरोना काल में उनकी नौकरी छूट गई है। आर्थिक तंगी के चलते वे अपने बच्चे की फीस नहीं दे पाई हैं। उन्होंने स्कूल प्रबंधन से फीस कम करने और किश्तों में भुगतान करने का मौका देने को कहा है लेकिन स्कूल ने उनकी बात पर सुनवाई नहीं की है।
स्कूल प्रबंधन ने अर्ध वार्षिक परीक्षा से पहली फीस जमा कराने को कहा है। ऐसा नहीं करने पर बच्चे को परीक्षा में नहीं बैठने का नोटिस जारी किया है। रविवार को सेक्टर- 56 स्थित स्कूल के अभिभावकों ने स्कूल के नोटिस को लेकर लक्ष्मीनारायण मंदिर में बैठक की।
बबीता की तरह नोटिस से परेशान अन्य अभिभावकों ने भी अपनी ऐसी ही समस्याएं बतार्इं। नरेश रावत, देवेंद्र, तरुण, अश्वनी आदि कई अभिभावकों ने स्कूल की फीस के बाबत शिकायत भी प्रशासनिक अधिकारियों से की है। बैठक में अभिभावकों ने मेरठ स्थित उत्तर प्रदेश शुल्क अपीलीय प्राधिकरण जाने की बात कही है।
अभिभावकों के मुताबिक यदि स्कूल ने सोमवार से बच्चों को वापस आॅनलाइन कक्षाओं में नहीं लिया, तो वे गौतमबुद्धनगर पेरेंट्स वेलफेयर सोसायटी की अगुआई में राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग में स्कूल प्रबंधन की शिकायत करेंगे। बैठक में बड़ी संख्या में स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक मौजूद रहे।