कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर विदेशी धरती से केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ सबसे ज्यादा मानहानि के मामले दर्ज हैं और अपनी लोकसभा की सदस्यता जाने का भी जिक्र किया। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान जब वह कश्मीर में थे तो उनको मारे जाने की आशंका थी।
राहुल गांधी इस समय अमेरिका के दौरे पर हैं। यहां उन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में अपने संबोधन के दौरान एक बार फिर मोदी सरकार को निशाने पर लिया और कहा, मेरे ऊपर सबसे ज्यादा मानहानि के मामले दर्ज हैं। कभी नहीं सोचा था कि मेरी लोकसभा की सदस्या जाएगी।” उन्होंने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान जब वह कश्मीर में थे तो उन्हें मारे जाने की आशंका जताई गई थी।
राहुल गांधी ने कहा कि वह भारत में शायद पहले व्यक्ति हैं, जिसे मानहानि मामले में सबसे ज्यादा सजा मिली है। अपनी लोकसभा की सदस्यता चले जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उनके परिचय में पूर्व सांसद कहा गया। आगे पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, “मुझे लगता है कि अब मेरे पास बड़ा मौका है। शायद उस अवसर से बड़ा जो मुझे संसद में बैठकर मिलता।” उन्होंने कहा कि 6 महीने पहले ये ड्रामा शुरू हुआ था और भारत में विपक्ष संघर्ष कर रहा है। सरकारी संस्थानों पर भाजपा का कब्जा है और हम उससे लोकतांत्रिक तरीके से लड़ रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि जब संस्थानों ने हमारी मदद नहीं की तो हम सड़कों पर उतरे और इसलिए भारत जोड़ो यात्रा शुरू की। राहुल गांधी ने कहा कि जब साल 2004 में उन्होंने अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था, तो कभी नहीं सोचा था कि वह कभी देश में ऐसा देखेंगे, जैसा अभी हो रहा है।
राहुल गांधी ने आगे कहा कि भारत जोड़ो यात्रा को लेकर प्रशासन ने उनसे कहा था कि अगर वह कश्मीर जाएंगे और 4 दिन पैदल चलेंगे तो हो सकता है कि वह मारे जाएं। उन्होंने बताया, “मैंने कहा कि ऐसा हो जाने दो। मैं देखना चाहता था कि कौन मुझपर ग्रेनेड फेंकेगा। सुरक्षाकर्मी, प्रशासन के लोग मुझे देख रहे थे और मुझे उनका चेहरा देखकर ऐसा लगा कि वे समझ नहीं पाए कि मैं क्या कह रहा हूं?” राहुल गांधी ने इस दौरान यह भी कहा कि फर्क नहीं पड़ता की दूसरे व्यक्ति के पास कितना बल है लेकिन आपको जीवन में दृढ़ रहना चाहिए।
राहुल गांधी को मोदी सरनेम मामले में दोषी पाए जाने के बाद उनकी लोकसभा की सदस्यता चली गई। 2019 में चुनाव प्रचार के दौरान उनके एक भाषण के खिलाफ सूरत कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराया और दो साल की सजा सुनाई थी।