देश में रोजगार के संकट की बानगी एक बार फिर देखने को मिली है। रेलवे ने कुछ दिनों पहले कई पदों के लिए वेकेंसी निकाली थी। देश भर के लाखों अभ्‍यर्थियों ने इसके लिए आवेदन किया है। अब तक के आंकड़ों से पता चला है कि एक पद के लिए 200 युवाओं ने फॉर्म भरा है। ऑनलाइन रजिस्‍ट्रेशन के लिए अभी भी पांच दिन शेष हैं। ऐसे में इस आंकड़े के बढ़ने की उम्‍मीद है। रेलवे ने तकरीबन एक लाख रिक्तियों का विज्ञापन दिया था। इसके लिए अब तक दो करोड़ से ज्‍यादा युवा आवेदन कर चुके हैं। चतुर्थ श्रेणी के पदों के लिए भी लाखों युवाओं ने फॉर्म भरा है। निजी क्षेत्रों में नौकरी के कम होते अवसरों को देखते हुए बड़ी तादाद में युवाओं को सरकारी क्षेत्र से ही उम्‍मीद है।

गैरजरूरी पदों की पहचान के लिए बनाई समिति: पिछले कुछ वर्षों में सरकारी और निजी क्षेत्र में नौकरियों के अवसर लगातार कम हो रहे हैं। निजी क्षेत्र में पर्याप्‍त निवेश नहीं होने के कारण रोजगार के नए अवसरों का सृजन उम्‍मीद के अनुसार नहीं हो रहा है। दूसरी तरफ, सातवें वेतन आयोग के लागू होने से सरकारी क्षेत्र के कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि और प्रदर्शन आधारित विशेष क्षेत्र में मौके होने के कारण सरकार को आउटसोर्स करना पड़ रहा है। इसके कारण स्‍थायी के बजाय कांट्रैक्‍ट जॉब का प्रचलन बढ़ा है। इससे नौकरियों के नए मौकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। ‘इकोनोमिक टाइम्‍स’ के अनुसार, तमिलनाडु सरकार ने हाल में ही एक समिति गठित की है। इस कमेटी को गैरजरूरी पदों की पहचान करने की जिम्‍मेदारी दी गई है, ताकि आने वाले समय में उन्‍हें समाप्‍त किया जा सके।

लगातार कम हो रहे रोजगार के अवसर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2014 में चुनाव प्रचार के दौरान हर साल रोजगार के एक करोड़ नए मौके पैदा करने की बात कही थी। नए रोजगार तो दूर की बात है, पिछले कुछ वर्षों में रोजगार के मौकों में लगातार कमी दर्ज की गई है। ‘मिंट’ की रिपोर्ट के अनुसार, वित्‍त वर्ष 2015-2016 में रोजगार दर में 0.1 फीसद तक की गिरावट आई है। इससे पहले 2014-2015 में यह दर 0.2 फीसद थी। भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की उत्‍पादकता का पता लगाने के लिए केएलईएमएस इंडिया के ताजा अध्‍ययन में यह बात सामने आई है। इस अध्‍ययन को आरबीआई का समर्थन प्राप्‍त था। वित्‍त वर्ष 2015-2016 के आंकड़ों के अनुसार, कृषि, वानिकी, मत्‍स्‍य पालन, खनन, खाद्य उत्‍पाद, वस्‍त्र, चमड़ा उद्योग, परिवहन और व्‍यापार जैसे क्षेत्रों में रोजगार के मौकों में लगातार गिरावट आई है।