जलवायु में तेजी से हो रहे बदलाव के चलते कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस के विशेषज्ञों ने कहा है कि अल नीनो की पकड़ कम होने से जनवरी या फरवरी के दौरान गर्मी महसूस होने लगेगी। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि समुद्र और सतह के तापमान पर अल नीनो का प्रभाव कुछ समय तक रहने की उम्मीद है।
यूरोपीय संघ के जलवायु मॉनिटर ने मंगलवार को पुष्टि की कि 1850 तक के वैश्विक तापमान डेटा रिकॉर्ड में 2023 सबसे गर्म कैलेंडर वर्ष था।
पिछले वर्ष वैश्विक-औसत तापमान 14.98 डिग्री सेल्सियस था, जो 2016 में पिछले उच्चतम वार्षिक मूल्य से 0.17 डिग्री सेल्सियस अधिक है और 1850-1900 पूर्व-औद्योगिक स्तर की तुलना में 1.48 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म है। लेकिन यह कहना जल्दबाजी होगी कि 2023 की तुलना में 2024 में वैश्विक औसत तापमान कम होगा या नहीं, वैज्ञानिकों ने कहा कि समुद्र की सतह के तापमान में कम से कम मार्च तक अत्यधिक उच्च तापमान दर्ज होने की उम्मीद है।
कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) की उप निदेशक सामंथा बर्गेस ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि अब हम अल नीनो शिखर के करीब हैं। हम उम्मीद कर रहे हैं कि 2024 के वसंत तक अल नीनो की स्थिति तेजी से घट कर ईएनएसओ तटस्थ हो जाएगी।
भूमध्यरेखीय समुद्री सतह का तापमान (एसएसटी) मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर में औसत से ऊपर है। उष्णकटिबंधीय प्रशांत वायुमंडलीय विसंगतियां एल नीनो के अनुरूप हैं। नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन ने 8 जनवरी को कहा कि अल नीनो के उत्तरी गोलार्ध की सर्दियों के दौरान जारी रहने की उम्मीद है, अप्रैल-जून 2024 (60% संभावना) के दौरान ईएनएसओ-तटस्थ में बदलाव को बढ़ावा मिलेगा।
मार्च 2023 के बाद से पूर्वी प्रशांत महासागर में सकारात्मक समुद्री सतह तापमान (एसएसटी) विसंगतियां धीरे-धीरे बढ़ी हैं और पश्चिम की ओर ट्रांसफर हुई हैं। अक्टूबर और नवंबर 2023 में मध्य और पूर्व-मध्य प्रशांत क्षेत्र में एसएसटी विसंगतियां बढ़ गईं।
दिसंबर की शुरुआत से सकारात्मक एसएसटी विसंगतियां बनी हुई हैं। एनओएए (NOAA) ने कहा कि सुदूर पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में सकारात्मक एसएसटी विसंगतियां धीरे-धीरे कमजोर हो रही हैं।
बर्गेश ने कहा कि हमें उम्मीद है कि वर्तमान अल नीनो इस महीने या अगले महीने चरम पर होगा, लेकिन वर्तमान तापमान पर प्रभाव में देरी हो रही है। 2024 की पहली तिमाही में तापमान के मामले में पिछले वर्ष की प्रवृत्ति जारी रहने की संभावना है। समुद्र के तापमान में मार्च तक वृद्धि जारी रहने की संभावना है। उन्होंने कहा कि हालांकि, हम उम्मीद कर सकते हैं कि अल नीनो का प्रभाव इस साल के अंत में खत्म हो जाएगा, लेकिन हम अनिश्चित हैं कि समुद्र का तापमान कैसे विकसित होगा।”
भारतीय मॉनसून पर अल नीनो का प्रभाव-
आमतौर पर अल नीनो प्रभाव की वजह से प्रशांत क्षेत्र में बहने वाली ट्रेड विंड्स कमजोर होती हैं। ये हवाएं भारत में नमी से भरी मॉनसूनी हवाओं से जुड़ी होती हैं। इस तरह मॉनसून यह को भी धीमा कर देती हैं, जिससे भारतीय उपमहाद्वीप में वर्षा कम होती है। ऐतिहासिक रूप से, अल नीनो के कम से कम आधे वर्ष मॉनसून के लिहाज से सूखे थे।