मानसून सत्र 20 जुलाई से शुरू होने जा रहा है और अब 31 अगस्त तक चलेगा। केंद्र सरकार कुल 31 बिल पेश करने जा रही है, इसमें दिल्ली अध्यादेश भी शामिल है। अब सरकार ने तो बुधवार को हुई सर्वदलीय बैठक में अपनी मंशा साफ कर दी है, लेकिन विपक्ष अलग ही रणनीति पर काम कर रहा है। वो किसी एक मुद्दे पर उलझकर नहीं रहने वाला है, वो सरकार को भी आसानी से हर बिल को पेश करने का मौका नहीं देने वाला है।
हंगामेदार होगा ये मानसून सत्र
बताया जा रहा है कि इस बार का मानसून सत्र काफी हंगामेदार रहने वाला है। ऐसा इसलिए क्योंकि विपक्षी पार्टियों ने साफ कर दिया है कि वे सबसे ज्यादा मणिपुर हिंसा का मुद्दा उठाने वाले हैं। विपक्ष की शिकायत ये है कि मणिपुर पिछले दो महीने से जल रहा है,लेकिन देश के प्रधानमंत्री ने अभी तक इस पर एक भी बयान जारी नहीं किया। ऐसे में राज्य की वर्तमान स्थिति से लेकर सरकार के फेलियर तक, हर मुद्दे पर केंद्र से सवाल-जवाब करने की तैयारी है।
मणिपुर हिंचा पर चर्चा की मांग
ये भी जानकारी मिली है कि विपक्ष चाहता है कि जब इस मुद्दे पर चर्चा हो, तब पीएम नरेंद्र मोदी संसद में मौजूद रहने चाहिए। ये एक ऐसी डिमांड है जिस पर बवाल भी होने वाला है और बीजेपी इसे आसानी से मानेगी भी नहीं। इससे पहले भी कई मुद्दों को लेकर विपक्ष की इसी मांग को खारिज किया जा चुका है। ऐसे में इस बार ये पूरी होगी, मुश्किल लगता है। इस पर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा है कि सरकार चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार है, स्पीकर परमीशन देंगे तो उस पर भी बात हो जाएगी।
बंगाल हिंसा वाला हथियार बीजेपी के पास
वैसे विपक्ष पार्टियों को एक बात का अहसास जरूर है। अगर उनकी तरफ से मणिपुर हिंसा का मुद्दा उठाया जाएगा तो बीजेपी भी सदन में बंगाल हिंसा का मुद्दा उठा सकती है। इसे ऐसे समझिए कि कांग्रेस की तरफ से बंगाल हिंसा पर ममता बनर्जी पर तीखे हमले किए गए हैं। ये नहीं भूलना चाहिए कि अधीर रंजन चौधरी की तरफ से जिस तरह से ममता पर गंभीर आरोप लगाए गए थे, जिस तरह से उन्हें पूरी हिंसा के लिए जिम्मेदार बताया गया था। ऐसे में बीजेपी भी मणिपुर हिंसा की काउंटर में बंगाल हिंसा का राग अलाप सकती है। उस स्थिति में कांग्रेस के लिए जवाब देना कुछ मुश्किल साबित हो सकता है।
दिल्ली अध्यादेश और राज्यसभा का नंबर गेम
अब मणिपुर हिंसा पर अगर बवाल की स्थिति है तो दिल्ली अध्यादेश को आम आदमी पार्टी ने सुर्खियों में लगातार रखा है। एक तरफ सुप्रीम कोर्ट की तरफ से पांच जजों की बेंच बना दी गई है तो वहीं दूसरी तरफ अरविंद केजरीवाल की तरफ से पूरे विपक्ष को इस मामले में एकजुट करने का काम किया गया है। उसी वजह से अब जब राज्यसभा में ये बिल पेश किया जाएगा, तब इसे पारित करवाने में बीजेपी के भी पसीने छूटने वाले हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कांग्रेस की तरफ से भी अब आम आदमी पार्टी के समर्थन की बात कर दी गई है। यानी कि नंबर गेम किसी के भी पक्ष में जा सकता है।
31 बिल इस बार किए जाएंगे पेश
वैसे जानकारी के लिए बता दें कि इस मानसून सत्र में शायद सरकार अब यूसीसी का बिल पेश ना करे। असल में लॉ कमिशन द्वारा लोगों से सुझाव मांगने वाली डेडलाइन को दो हफ्ते आगे शिफ्ट कर दिया गया था। ऐसे में इस सत्र में यूसीसी बिल आना मुश्किल है। जो बिल सरकार पेश करने वाली है, उस लिस्ट में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक लाया जाएगा। इसी तरह प्रोविजनल कलेक्शन ऑफ टैक्सेज बिल, इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड एंड बैंक बिल, डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, पोस्टल सर्विसेज बिल, जन विश्वास बिल, ड्रग्स, मेडिकल डिवाइसेज एंड कॉस्मेटिक्स बिल शामिल है।