चार साल पहले 15 फरवरी 2014 को मांस निर्यातक मोइन कुरैशी के ठिकानों पर पहली बार इनकम टैक्स की रेड पड़ी थी। अब मोइन कुरैशी केस से सीबीआई में भूचाल आ गया है। इनकम टैक्स के छापे और ब्लैकबेरी मैसेंजर मैसेज मिलने की बात को पहली बार इंडियन एक्सप्रेस द्वारा रिपोर्ट किया गया था। अब इन मैसेजेज के बारे में काफी सारी जानकारियां हैं, जिनमें मोइन कुरैशी और उन लोगों के बीच के संदेश हैं, जिन्होंने कथित तौर पर सीबीआई केस मैनेज करने के लिए पैसे का लेन-देन किया था। इसमें हैदराबाद के व्यवसायी प्रदीप कोनेरू का मैसेज भी शामिल है। हैदराबाद के एक अन्य व्यवसायी सतीश साना के टेलिफोन रिकाॅर्डिंग का टेप भी अब इस रिश्वत घोटाले की केंद्र में है, जिसके लिए पिछले हफ्ते सीबीआई के स्पेशल डॉयरेक्टर राकेश अस्थाना के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
इनमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जो तथ्य सामने आए हैं, वो ये दिखाते हैं कि अस्थाना और सीबीआई डॉयरेक्टर आलोक वर्मा ने इसी साल अक्टूबर में मोइन कुरैशी केस के एक पहलू पर असहमत थे। वह यह था कि “क्या सीबीआई अधिकारियों के द्वारा चार अराेपियों से कस्टडी में लेकर की गई पूछताछ की मांग को सीबीआई के अभियोजन निदेशक (डीओपी) को भेजा जाना चाहिए या नहीं?” सीबीआई डॉयरेक्टर आलोक वर्मा चाहते थे कि डीओपी गिरफ्तारी के प्रस्ताव की जांच करें। वहीं, अस्थाना ने 3 अक्टूबर 2018 ने कहा कि इसकी कोई जरूरत नहीं है।इससे पहले लगभग सभी सीबीआई अधिकारियों ने कहा कि जांच से जुड़े अन्य पहलुओं को सामने लाने के लिए चारों आरोपियों से पूछताछ जरूरी है। इन चारों आरोपियों में मोइन कुरैशी, प्रदीप कोनेरू, आदित्य शर्मा और सतीश साना शामिल हैं। बता दें कि डीओपी सीबीआई के वरिष्ठ लॉ आॅफिसर होते हैं।
इसके साथ ही सीबीआई के नंबर 1 और नंबर 2 के बीच लड़ाई तेज होती जा रही है। नंबर 2 की हैसियत रखने वाले सीबीआई के स्पेशल डॉयरेक्टर राकेश अस्थाना ने नंबर 1 की हैसियत रखने वाले सीबीआई डाॅयरेक्टर आलोक वर्मा और अन्य उच्च अधिकारियों पर करीब एक दर्जन गंभीर आरोप लगाए हैं। अस्थाना ने कैबिनेट सचिव से ‘टॉप सिक्रेट’ शिकायत की है। इनमें मांस निर्यातक मोइन कुरैशी के खिलाफ जांच से संबंधित मामला, सेंट किट्स सिटिजनशिप की मांग करने वाले दो व्यवसायियों और हरियाणा में भूमि अधिग्रहण से जुड़ा मामला शामिल है।
24 अगस्त को कैबिनेट सचिव प्रदीप कुमार सिन्हा को लिखे पत्र में अस्थाना ने कहा कि उन्हें सीबीआई द्वारा लगाए गए आरोपों पर जवाब देने को कहा गया था। ऐसा उन्होंने 16 जुलाई को ही कर दिया था। अस्थाना ने आगे कहा कि सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों के कार्यों से संबंधित उन्हें अपने सूत्रों से कुछ संवेदशनशील जानकारियां मिली है। चूकि, संगठन के उच्च अधकारियों के खिलाफ जानकारी को देखने के लिए कोई तंत्र नहीं था, इसलिए वे इन जानकारियों को उनसे साझा कर रहे हैं। राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव से जुड़े मामलों सहित अस्थाना ने सीबीआई प्रमुख और अन्य अधिकारियों पर कई तरह के आरोप लगाए हैं।
अस्थाना ने कहा कि, “हैदराबाद स्थित कारोबारी साना सतीश बाबू (मोइन कुरैशी के खिलाफ चल रही जांच में आरोपी) ने सीबीआई द्वारा कार्रवाई से बचने के लिए सीबीआई निदेशक वर्मा को 2 करोड़ रुपये का रिश्वत दिया था। उन्होंने कहा कि उन्हें 20 फरवरी को वर्मा द्वारा टेलीफोन पर साना की जांच न करने का निर्देश दिया गया था।” संयोग से, यह वही मामला है जिसमें अस्थाना के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है, जिसमें उन्हें रिश्वत स्वीकार करने वाले व्यक्ति के रूप में नामित किया है। जैसा कि रविवार को द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा रिपोर्ट किया गया था, 15 अक्टूबर को दर्ज एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि 4 अक्टूबर को साना ने एफिडेविट दिया था कि अस्थाना और अन्य ने सीबीआई की कार्रवाई रोकने के लिए 3 करोड़ रुपये का रिश्वत लिया था।
अस्थाना ने अगला आरोप यह लगाया है, “खुफिया एजेंसियों द्वारा सीबीआई निदेशक को सूचित किया गया था कि सीबीआई केस का सामना करने वाले दो व्यवसायी सेंट किट्स की नागरिकता प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन एजेंसी ने पासपोर्ट रद्द करने या लुक आउट नोटिस जारी करने जैसी किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की। जबकि एक व्यवसायी को कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में नामित किया गया है। दूसरे कि खिलाफ 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में मनी लॉन्डरिंग के लिए जांच की जा रही है।”
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राकेश अस्थाना ने आगे लिखा, “हरियाणा भूमि अधिग्रहण के मामले में प्रारंभिक जांच के रजिस्ट्रेशन के बाद राज्य के टाउन एंड कंट्री प्लानिंग अधिकारियों के साथ-साथ रियल एस्टेट एजेंटों की रिपोर्टें सीबीआई के संयुक्त निदेशक अरुण कुमार शर्मा और वर्मा के साथ जुड़ी हुई थीं।” अस्थाना की शिकायत में जांच बंद करने के लिए 36 करोड़ रुपये लेने का आरोप है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं किया गया कि जांच वास्तव में बंद हुई या नहीं? अस्थाना ने पिछले साल से सीबीआई मामले में कई गड़बडि़यों को लिखा, जिसमें ईडी के सहायक निदेशक को 5 लाख रुपये रिश्वत लेते हुए पकड़ने का मामला भी शामिल है। पत्र में कहा गया है कि इन मामले के कारण सीबीआई की लखनऊ इकाई के प्रमुख को डाॅयरेक्टर ने गंभीर रूप से फंसाया था, जिन्हें बाद में राहत मिली। इसके साथ ही अस्थाना ने कई और गंभीर आरोप लगाए हैं।