उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ कुंभ मेले के मौके पर भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह के बुधवार (11 मई) को दलित एवं अन्य साधुओं के साथ क्षिप्रा में पवित्र स्नान और भोजन करने के एक दिन बाद गुरुवार (12 मई) को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत क्षिप्रा तट पर आदिवासियों के साथ भोजन कर सकते हैं। आरएसएस की सहायक संस्था वनवासी कल्याण परिषद के प्रांत (मप्र क्षेत्र) संगठन सचिव प्रवीणजी डोलके ने बताया, ‘‘आरएसएस प्रमुख गुरुवार (12 मई) शाम 4 बजे जनजाति सम्मेलन को सम्बोधित करेंगे। भागवत गुरुवार (12 मई) को यहां आदिवासियों के साथ भोजन भी कर सकते हैं।’’
राजनीतिक हलकों में आरएसएस की इस मुहिम को आदिवासियों को अपनी ओर आकर्षित करने के तौर पर देखा जा रहा है। संघ परिवार के प्रमुख मोहन भागवत द्वारा पिछले साल बिहार में विधानसभा चुनाव के दौरान आरक्षण नीति की समीक्षा की जरूरत का मुद्दा उठाकर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों को कथित तौर पर नाराज कर दिया था। भागवत का यह बयान भाजपा पर उल्टा पड़ा था और माना जा रहा है इस वजह से बिहार के जाति आधारित विधानसभा चुनाव में भाजपा को भारी पराजय का सामना करना पड़ा। बिहार चुनावों में हार के बाद कई भाजपा नेताओं ने भागवत के इस बयान की और उंगुली उठाई थी।
आरएसएस द्वारा आदिवासियों और दलित वर्ग को आकर्षित करने के लिये इस वर्ष सामाजिक समरसता नामक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया जा रहा है। मध्यप्रदेश में संघ तीन जनवरी से 10 जनवरी के बीच अपनी शाखाओं में पहले ही सामाजिक समरसता विषय पर विचार विमर्श कर चुका है। संघ के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि सामाजिक समरसता योजना के साथ हम दलित और आदिवासी वर्ग के लोगों के साथ भोजन और एक साथ इकठ्ठे होने का कार्यक्रम पहले ही शुरू कर चुके हैं।