दिल्ली में भ्रष्टाचार का एक और मामला सामने आ गया है। इस बार आरोप राजधानी के मोहल्ला क्लीनिकों पर लगा है जहां पर कहा जा रहा है कि फर्जी मरीजों के जरिए प्राइवेट लैब्स को फायदा पहुंचाया गया। अब इस कथित घोटाले की जांच भी एलजी वीके सक्सेना द्वारा सीबीआई को सौंप दी गई है। इससे पहले दिल्ली के दवाई घोटाले की जांच भी सीबीआई को दी गई थी।

इस नए विवाद की बात करें तो इसमें तीन हैरान कर देने वाली बातें पता चली हैं- पहली ये कि फर्जी मरीजों के जरिए मोहल्ला क्लीनिकों में रिकॉर्ड को भरा गया, दूसरी ये कि गलत मोबाइल नंबर लिखकर गुमराह करने का काम हुआ और तीसरी ये कि फर्जी टेस्ट के जरिए निजी लैब्स को फायदा पहुंचाया गया। ये सारे कारनामें कुल सात मोहल्ला क्लीनिक में देखने को मिले हैं। इन क्लीनिक्स में डॉक्टर भी मौके पर ना जाकर वीडियो बॉयोमेट्रिक के जरिए फर्जी तरीके से अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं।

अधिकारियों के मुताबिक कई ऐसे नंबर भी सामने आए जिनके शुरुआती अंक से 1 से 5 के बीच में थे। कई मोबाइल नंबरों की शुरुआत 999 से की गई। इसी वजह से सवाल उठ रहा है कि आखिर किसका इलाज हो रहा था, बिना डॉक्टरों के दवाई को दे रहा था? बताया तो ये भी गया है कि रोज के 500 मरीजों की फर्जी एंट्री इन मोहल्ला क्लीनिक में हो रही थी, इन सभी के फर्जी मेडिकल टेस्ट भी करवाए जा रहे थे। हैरानी की बात ये है कि ये सिर्फ रिकॉर्ड में दिखाने के लिए है, पैसे तो सरकार के लगे हैं टेस्ट के लिए, लेकिन असल में कोई टेस्ट नहीं हुआ।

इसके ऊपर जब कुछ मीडिया पोर्टल ने उन नंबरों पर कॉल करने की कोशिश की तो पता चला कि उन्होंने कभी दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक में इलाज तक नहीं करवाया। अब इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई है, जांच का आधार यही है कि कैसे फर्जी लैब टेस्ट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया।