प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को साफ कहा कि दलितों के लिए आरक्षण नीति में कोई बदलाव नहीं होगा। इस मुद्दे पर झूठ फैलाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वियों को भी आड़े हाथों लिया और पुरजोर शब्दों में कहा कि दलितों से उनका यह अधिकार कोई नहीं छीन सकता।
प्रधानमंत्री ने संविधान निर्माता भीमराव आंबेडकर की तुलना अश्वेतों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले मार्टिन लूथर किंग से भी की। यहां आंबेडकर स्मृति व्याख्यान के दौरान मोदी ने कहा- हम जब भी सत्ता में रहे हैं तो दलितों, आदिवासियों के अधिकारियों को कोई नुकसान नहीं हुआ है। इसके बावजूद लोगों को गुमराह करने के लिए झूठ फैलाया जा रहा है। उन्होंने कहा- जब वाजपेयी प्रधानमंत्री बने, एक अभियान चलाया गया कि आरक्षण को समाप्त कर दिया जाएगा। वे दो कार्यकाल तक प्रधानमंत्री रहे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
मोदी ने कहा- भाजपा ने मध्य प्रदेश, गुजरात, पंजाब और हरियाणा में कई सालों तक राज किया है और आरक्षण नीति पर कभी कोई खरोंच तक नहीं आई। फिर भी झूठा प्रचार किया जा रहा है। जो लोग केवल राजनीति करने में दिलचस्पी रखते हैं, वे ही इससे निकल नहीं पा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने आरक्षण को दलितों और वंचितों का ऐसा अधिकार बताया जिसे कोई छीन नहीं सकता। उन्होंने कहा- जैसा कि मैंने पहले भी कहा है कि यदि आज आंबेडकर भी आ जाएं, तो वे भी आपसे आपका यह अधिकार नहीं छीन सकते। बाबा साहेब के सामने हमारी क्या हस्ती है।
आंबेडकर नेशनल मेमोरियल की आधारशिला रखते हुए प्रधानमंत्री ने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर निशाना साधा और उन पर इस मुद्दे पर भ्रम और झूठ फैलाने का आरोप लगाया। साथ ही कटाक्ष भी किया कि इस प्रकार की बातें जहां उनकी राजनीति को रास आती हैं वहीं ऐसी बातें देश के सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करती हैं। आरक्षण पर प्रधानमंत्री का यह ताजा बयान अगले महीने होने वाले पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, केरल और पुडुचेरी के विधानसभा चुनाव से पहले आया है।
प्रधानमंत्री ने आंबेडकर को केवल दलितों का मसीहा बताए जाने को अन्याय करार देते हुए कहा कि वे हाशिए पर डाले गए सभी लोगों की आवाज थे। उन्होंने आंबेडकर को विश्व मानव बताते हुए उनकी तुलना अश्वेतों के मानवाधिकारों की आवाज बुलंद करने वाले मार्टिन लूथर किंग से की। संसद में उनकी सरकार की ओर से लाए गए जलमार्ग विधेयक को भारत की नौवहन क्षमता पर अंबेडकर के विचारों से जोड़ते हुए मोदी ने कहा कि पिछले 60 सालों में इस पर कोई काम नहीं किया गया और जब बाबा साहेब के भक्त सत्ता में आते हैं तो अंतर साफ दिखाई देता है।
विपक्ष को अपने निशाने पर लेते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पराजय को स्वीकार करना वास्तव में मुश्किल होता है। उन्होंने लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा- कुछ लोग हमें पसंद नहीं करते। यहां तक कि वे हमें देखना तक नहीं चाहते। उन लोगों को हमें देख कर बुखार आ जाता है और बुखार में आदमी दिमागी संतुलन खो बैठता है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- यही बात है कि वे हर तरह का झूठ और अनाप-शनाप बातें बोलते हैं। जिन्होंने 60 सालों तक काम नहीं किया उन्होंने हमें यह काम करने का मौका दिया है और 26 अलीपुर रोड पर स्मारक बनाने जैसे काम करने में हमें गर्व का अनुभव होता है।
मोदी ने कहा कि यह पहली बार है कि देश का प्रधानमंत्री आंबेडकर स्मृति व्याख्यान दे रहा है जिसका आयोजन छठी बार किया गया है। मोदी ने आंबेडकर की ओर से दिए गए तीन मंत्रों- शिक्षा, संगठन और संघर्ष के बारे में भी बात की और कहा कि ये आज भी प्रासंगिक हैं। शिक्षा और संगठन पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि ये दोनों पूरे हो जाएं तो तीसरे की जरूरत ही नहीं होगी जबकि इन दिनों अधिकतर लोग संघर्ष पर बल देते हैं।
उन्होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि जब बाबा साहेब के पास सत्ता थी तब भी उनके मन में किसी के प्रति कड़वाहट नहीं थी जबकि उन्होंने बहुत अधिक मानसिक प्रताड़ना झेली थी जिसमें उनकी मां के साथ हुआ भेदभाव भी शामिल था। मोदी ने कहा- आंबेडकर की अभिव्यक्ति में कोई कड़वाहट नहीं दिखाई देती। कोई बदले की भावना नहीं है। आंबेडकर के लिए, दलितों के साथ ही ऊंची जातियां भी उनकी अपनी थीं। उन्होंने साथ ही कहा कि कई बार अनजाने में दांतों के नीचे आकर जीभ कट जाती है लेकिन हम इसके लिए दांत को उखाड़ नहीं फेंकते।
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने कहा कि पराजय को स्वीकार करना बहुत मुश्किल होता है लेकिन इस बात को उन्होंने रेखांकित किया कि समाज और देश हार जीत से बड़े होते हैं। दलित मुद्दों पर अक्सर सरकार को निशाने पर लेने वाले अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर बरसते हुए मोदी ने कहा कि अंबेडकर ने सत्ता के लिए नहीं बल्कि राष्ट्र और समाज के प्रति कर्तव्य से प्रेरित होकर दबे-कुचले लोगों के हितों के लिए काम किया लेकिन ऐसे भी लोग हैं जिनके लिए समाज और राष्ट्र मायने नहीं रखता बल्कि सत्ता मायने रखती है।
आंबेडकर को सही परिप्रेक्ष्य में पेश नहीं करने के लिए पिछली सरकारों पर दोष मढ़ते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि ऐसा किया जाता तो बहुत सी सामाजिक समस्याएं पैदा नहीं हुई होतीं। उन्होंने कहा- किसी के भी दिमाग में यह सवाल आ सकता है कि आंबेडकर का निधन 1956 में हुआ था लेकिन उनका स्मारक 60 साल बाद क्यों शुरू किया जा रहा है। 60 साल बीत चुके, मुझे समझ नहीं आता कि इसके लिए किसको जिम्मेदार ठहराया जाए। लेकिन हमें 60 साल तक इंतजार करना पड़ा। शायद, यह मेरे लिए बाबा साहब आंबेडकर का आशीर्वाद था कि मुझे इसे करने का मौका मिला।
मोदी ने आंबेडकर के नजरिए को भी याद किया और कहा कि उन्होंने अपने जीवनकाल में ही कई चीजों का भान कर लिया था जिन्हें बाद की सरकारें लेकर आई। इसके लिए उन्होंने श्रम सुधारों और भारत की नौवहन शक्ति को मजबूत करने के साथ ही महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए उठाए गए कदमों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत के विकास के लिए औद्योगिकीकरण और गरीबों के लिए श्रम सुधार की बात सोच कर आंबेडकर ने श्रम सुधारों के लिए काफी काम किया।