मेडिकल डिवाइस बनाने वाली कंपनियां अब डॉक्टरों को सैंपल, गिफ्ट या थिएटर, स्पा, लाइव कॉमेडी या म्यूजिक, स्पोर्ट्स इवेंट, गोल्फ, स्कीइंग, क्रूज और ट्रिप जैसी मनोरंजक गतिविधियों के नाम पर रिश्‍वत नहीं दे पाएंगी। नरेंद्र मोदी सरकार इसपर रोक के लिए एक कोड लेकर आई है। मेडिकल डिवाइस को दवाओं के समान माना जाता है। फार्मास्युटिकल सेक्टर के लिए पहले से ही कोड है और मेडिकल डिवाइस सेक्टर के लिए अलग ड्राफ्ट तैयार किया गया। इसका कारण है कि सरकार आगे चलकर इसे एक अलग इंडस्ट्री के तौर पर रेगुलेट करना चाहती है।

हालांकि, यह कोड इंडस्ट्री के लिए “स्वैच्छिक” होगा, लेकिन सेल्फ रेगुलेशन पर जोर देते हुए सरकार ने चेतावनी दी है कि अगर इसे अच्छी तरह से लागू नहीं किया गया तो यह इसे “वैधानिक” बनाया जा सकता है। केमिकल और फर्टिलाइजर मंत्रालय के अंतर्गत फार्मास्यूटिकल्स विभाग ने मेडिकल डिवाइस की मार्केटिंग के लिए एक कोड का मसौदा जारी किया है। इसे लेकर 15 अप्रैल तक उद्योग के प्रतिनिधियों से प्रतिक्रिया मांगी गई है।

ड्राफ्ट के अनुसार मेडिकल डिवाइस सेक्टर स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में एक “महत्वपूर्ण स्तंभ” है और यह सभी नागरिकों के लिए अच्छी गुणवत्ता, सस्ती और व्यापक स्वास्थ्य सेवा के प्रावधान के संदर्भ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 के प्रमुख उद्देश्य को प्राप्त करने में मदद करेगा।

मेडटेक उद्योग के अनुरोध पर एक अलग यूनिफॉर्म कोड रखने और ऐसी जरूरतों को महसूस करने के आधार पर ड्राफ्ट में कहा गया है कि “विभाग ने उद्योग के परामर्श से मेडिकल डिवाइसेस मार्केटिंग प्रैक्टिस (UCMDMP) के लिए एक अलग यूनिफॉर्म कोड तैयार किया है।”

16 पन्नों के इस ड्राफ्ट में कहा गया है कि यूसीएमडीएमपी का ड्राफ्ट एक स्वैच्छिक कोड है और इसके कार्यान्वयन की समीक्षा इसके जारी होने की तारीख से छह महीने की अवधि के बाद की जाएगी। अगर यह पाया जाता है कि इसे मेडिकल डिवाइस एसोसिएशन और कंपनियों द्वारा प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया गया है, तो सरकार इसे एक वैधानिक कोड बनाने पर विचार कर सकती है। किसी भी गलत काम के मामले में प्रबंध निदेशक या मुख्य कार्यकारी अधिकारी या कंपनी के अधिकृत व्यक्ति को “कोड का पालन न करने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा।